मुस्लिम महिलाओं को मिला इंसाफ , राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास…

आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया हैं. वहीं दर्द में जी रही मुस्लिम लड़कियों को इंसाफ मिला हैं. बतादें की सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने के मुद्दे पर वोटिंग. वहीं वोटिंग के लिए पर्ची बांटी गई क्योंकि नए सांसदों को सीट अलॉट नहीं हुई है. 100-84 से गिरा प्रस्ताव.

 

खबरों के मुताबिक राज्यसभा में बिल पास होने की उम्मीद बढ़ी.सेलेक्ट कमेटी न भेजे जाने के पक्ष में 100 वोट, भेजे जाने के पक्ष में 84 वोट पड़े.अब इस बिल के राज्यसभा में पास होने की उम्मीद बड़ी। वोटिंग के दौरान विपक्ष के कई सांसद नदारद रहे.

तीन तलाक पर आजाद ने सरकार पर साधा निशाना कहा – मुस्लिम देशों में गर्दन काटने का भी कानून, सरकार लाएगी…

वहीं जेडीयू, अन्नाद्रमुक के अलावा टीआरएस और बसपा भी सदन में मौजूद नहीं थी. सपा सदस्य जावेद अली खान ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि महिलाओं के यौन शोषण मुद्दे से निबटने के बारे में चार मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था, उसका क्या हुआ? क्या उस मंत्री समूह ने अपनी कोई रिपोर्ट दी है? उन्होंने कहा कि तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के मामले में सरकार जार्डन, सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों की मिसाल दे रही है।.उन्होंने कहा कि हमारा देश क्या अब इस स्थिति में पहुंच गया है कि वह इन देशों का अनुकरण करेगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह एक दिवानी करार है.

जहां उन्होंने कहा हैं कि तलाक का मतलब इस करार को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत तलाक का अपराधीकरण किया जा रहा है, जो उचित नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक कारणों से यह विधेयक लायी है और ऐसा करना उचित नहीं है.

दरअसल अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा कानून बनाने की संसद के पास विधायी सक्षमता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को पूर्व प्रभाव से लागू किया गया है जो संविधान की दृष्टि से उचित नहीं है. लेकिन उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह एक दिवानी समझौता है और इसे भंग करना अपराध नहीं हो सकता है.

देखा जाये तो तीन तलाक के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि जब इस कृत्य को शीर्ष न्यायालय निष्प्रभावी बता चुका है तो उस निष्प्रभावी कृत्य पर संसद कानून कैसे बना सकती है? उन्होंने कहा कि यह विधेयक कानून बनने के बाद न्यायपालिका की समीक्षा में टिक नहीं पाएगा?

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक के बारे में लाए गए अध्यादेश का इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि यह अध्यादेश बिना संसदीय समीक्षा के लाया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में न तो राष्ट्रपति शासन लगा है और न ही तानाशाही है, इसलिए संसद की समीक्षा के बिना कोई भी कानून लाना संविधान की भावना के विरूद्ध है. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा महिला सशक्तिकरण के बारे में केवल बात ही करती है.

उन्होंने कहा कि यदि सरकार इसके लिए वाकई गंभीर है तो उसे महिला आरक्षण संबंधित विधेयक संसद में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए यदि वर्तमान सत्र का एक और दिन बढ़ाना पड़े तो हमारी पार्टी उसके लिए भी तैयार है। तीन तलाक पीड़िताओं को फुटपाथ पर नहीं छोड़ सकते.

बिल को राज्यसभा में पेश करते हुए रविशंकर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही थी और छोटी-छोटी बातों पर तीन तलाक दिया जा रहा था. जिसके कारण हम कानून लेकर आए हैं। लोगों की शिकायतों के बाद विधेयक में कुछ बदलाव किए गए हैं.

वहीं अब इसमें जमानत और समझौते के प्रावधान को भी शामिल किया गया है। इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए। यह नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है। एक तरफ बेटियां लड़ाकू विमान चला रही हैं वहीं दूसरी ओर तीन तलाक पीड़ित बेटियों को फुटपाथ पर नहीं छोड़ा जा सकता है. सभी सासंदों से विनती करता हूं कि इसे पास करें.

 

 

LIVE TV