मुरादाबाद के भोजपुर में गौवंशीय पशुओं का मांस बरामद, दो अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज

रिपोर्ट-संजय मणि त्रिपाठी/मुरादाबाद

मुरादाबाद जनपद पुलिस का एक सनसनीखेज कारनामा सामने आया है जिसमे मुरादाबाद के थाना भोजपुर में ९ मई २०१८ को एक ट्रक में गौवंशीय पशु और उनका मांस बरामद हुआ था और बिना किसी गिरफ्तारी के दो अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था।

वाहवाही लूटने की वजह से भोजपुर पुलिस द्वारा २९ जून २०१८ को गौह्त्या और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एक मजदूर सतवीर नाम के दलित युवक को जहीर के नाम से जेल की सलाखों के बीच पुलिस ने पहुचा दिया।

पुलिस के इस सनसनीखेज कारनामे का खुलासा ७ जून २०१९  को उस समय हुआ जब जेल से पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए सतवीर को अदालत में पेशी के दौरान ठाकुरद्वारा कोर्ट लाया गया तो सतवीर ने अदालत में मौजूद एक वकील चौधरी कुलदीप सिंह को आवाज देकर अपने पास बुलाया.

गौवंशीय पशु का मांस

रो रोकर पुलिस के अत्याचार की अपनी आपबीती सतवीर ने वकील को बताई।वकील के मुताबिक़ आरोपी जनपद बुलन्दशहर के थाना अनूप शहर अंतर्गत ग्राम डोंगर जोगी का रहने वाला सतवीर है। वकील के अनुसार इसकी पड़ताल उन्होंने खुद उसके गाँव में जाकर कर ली है और सतवीर जहीर नहीं है.

इसके सारे दस्तावेज वो खुद सतवीर के गाँव जाकर ले आये हैं।वहां के प्रधान ने भी लिखकर दे दिया है ,सतवीर के घर में सिर्फ एक बूढी माँ है,जो चलने फिरने बोलने में भी असमर्थ हैं।

उनके द्वारा पुलिस के इस कारनामे की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी कर दी है। सतवीर को न्याय दिलाने के लिए निःशुल्क हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी करेंगे उधर जब इस मामले में पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में डाला गया तो सभी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं और कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

सबसे अहम सवाल परिवार के लोग एक साल से सतवीर की तलाश कर रहे होगे लेकिन सतवीर मिलता कहाँ से वो तो जहीर के नाम से जेल में था। दूसरा अहम सवाल गौहत्या जैसे जघन्य अपराध में जेल में कैदी की जिन्दगी गुजार रहा सतवीर और उसके परिवार के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि उसकी जमानत जहीर के नाम से ली जाय या सतवीर के नाम से ली जाई

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तीसरा अहम सवाल ये है कि सतवीर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सतवीर जिसको ज़ाहिर के नाम से पुलिस ने जेल भेजा उसके परिवार को सूचना क्यों नही दी और उसका एड्र्स वैरिफिकेशन क्यों नही किया।

इन सवालों का जवाब पुलिस के पास भी नही है क्योंकि पुलिस की गिरती छवि को सुधारने और अपने गुडवर्क के लिए पुलिस ने कई ऐसे कारनामे किये है और अपने उच्च अधिकारियों की वाहवाही लूटी है।

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