मोदी को मात देने के चक्कर में मीरा कुमार को फिर हरा बैठी कांग्रेस

मीरा कुमारनई दिल्ली। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो कुछ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत के बाद ही साफ हो गया था कि इस बार देश का राष्ट्रपति एनडीए का ही होगा। उसके बाद भी कांग्रेस ने ‘उम्मीद’ बरकरार रखी। लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार को प्रसीडेंट कैंडीडेट भी बनाया। जैसा कि पहले से ही तय था महामहिम एनडीए से ही होगा, मीरा कुमार ने हार की औपचारिकता पूरी की। अब एक बार फिर मीरा कुमार हार गई हैं।

मीरा कुमार की संसद में नो एंट्री!

मीरा कुमार इस बार राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने से ही चूक गईं। पश्चिम बंगाल में होने वाले राज्य सभा चुनावों के लिए पहले उनके नाम की चर्चा थी लेकिन प्रदेश कांग्रेस की तरफ से केंद्रीय नेतृत्व को चिट्ठी भेजे जाने के बाद अब पार्टी के वरिष्ठ नेता पी भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया गया है।

नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राज्य सभा चुनावों के लिए अकेले उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की है।

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को समर्थन देने का मन बनाया था लेकिन अभी तक सीपीएम ने सीताराम येचुरी की उम्मीदवारी पर कोई फैसला नहीं लिया है, इसलिए कांग्रेस ने अब अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।

अगस्त में पश्चिम बंगाल की छह सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इनमें से चार सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की दावेदारी है, जबकि कांग्रेस और सीपीएम की दावेदारी एक-एक सीट पर है।

हालांकि, टीएमसी के पास विधानसभा में इतना संख्या बल है कि वो एक साथ पांच की राज्यसभा की सदस्यता दिला सकती है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस है जो एक व्यक्ति को राज्य सभा चुनकर भेज सकती है।

विधान सभा की मौजूदा संख्या बल को देखते हुए राज्य सभा की एक सीट के लिए 43 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। टीएमसी के पास 211 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 44 और सीपीआई (एम) समेत पूरे लेफ्ट के कुल 32 विधायक हैं।

 

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