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खास बात यह है कि विलक्षण प्रतिभा के चलते उसे कक्षा एक के बाद कक्षा दो के बजाय कक्षा तीन और फिर कक्षा चार के बजाय कक्षा पांच में सीधे प्रवेश दे दिया गया। भले ही इस बात पर विश्वास करने में संकोच हो कि 12 वर्षीय छात्र बीस करोड़ तक के पहाड़े पलभर में बिना किसी झिझक के सुना दे, परंतु गांव तिरपड़ी निवासी एक सामान्य परिवार में छोटे किसान नरेंद्र राठी व गृहिणी बबीता के घर जन्मा यह छात्र चिराग राठी करीब चार वर्ष पूर्व ही यह कारनामा कर चुका है।

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चिराग की यह प्रतिभा कक्षा पांच में सामने आई थी, जिसे वह दिन प्रतिदिन धार दे रहा है। चिराग अब क्षेत्र के छात्र-छात्राओं के लिए रोल मॉडल बन चुका है। गांव के ही जिले सिंह पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाला कक्षा नौ का छात्र चिराग राठी पल भर में ही गणित विषय के बड़े से बड़े सवाल बिना किसी झिझक के हल कर देता है। कोई भी सूत्र ऐसे याद रखता है कि मानों वह इंसान न होकर सुपर कंप्यूटर हो।

चिराग के विद्यालय के प्रधानाचार्य विश्वास कुमार ने बताया कि शुरू में तो चिराग सामान्य बच्चों की तरह ही था। जब वह कक्षा पांच में था तो वह एक से लेकर बीस करोड़ तक के पहाड़े ऐसे सुनाने लगा, जैसे वह छात्र न होकर कंप्यूटर हो।

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जैसे जैसे उसकी प्रतिभा सामने आने लगी वैसे ही चिराग क्षेत्र में एक गणितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध होने लगा और दूर दूर से अध्यापक व छात्र-छात्राएं उससे मिलने आने लगे। उन्होंने बताया कि चिराग अभी कक्षा नौ में पढ़ रहा है और उसे गणित का बड़े से बड़ा सवाल हल करने में जरा भी झिझक नहीं होती है। चिराग की इस अद्भुत उपलब्धि पर उसे मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

आईएएस बनकर देश सेवा है लक्ष्य
चिराग राठी से जब पूछा गया कि वह पढ़ाई के बाद क्या बनना चाहते हैं तो उन्होंने बताया कि वह आईएएस अधिकारी बनकर अपने माता-पिता, अध्यापकों, गांव तथा क्षेत्र का नाम रोशन कर जनता की सेवा करना चाहता है। क्षेत्र का विलक्षण प्रतिभा संपन्न यह छात्र गांव ही नहीं बल्कि क्षेत्र में मॉडल स्टूडेंट के नाम से भी मशहूर हो रहा है। जिस पर क्षेत्रवासियों को गर्व है।

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