मिनिमम बैलेंस से बैंकों ने ग्रहकों से कमाएं 10,000 करोड़, कहीं आप भी तो नहीं करते ऐसा

नई दिल्ली। अगर आप भी उन ग्रहकों में से हैं जो बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करते या फिर एटीएम की मासिक निकासी सीमा से अधिक बार रुपये निकालते हैं तो आप भी बैंकों के लिए एक लाभकारी ग्राहक बन रहे हैं।

दरअसल, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले साढ़ें तीन सालों में देश के अधिकतर बैंकों ने मिनिमम बैलेंस और एटीम ट्रांजैक्शन के नाम पर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक धन वसूले हैं। हाल ही में संसद में पेश हुए आंकड़ों के अनुसार, 2015 के बाद से अबतक करीब साढ़े तीन साल में सरकारी बैंकों ने न्यूनतम धनराशि और एटीएम ट्रांजैक्शन चार्ज के तौर पर देश की जनता से 10 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा वसूले हैं।

विगत मंगलवार को लोकसभा सांसद दिब्येन्दू अधिकारी ने संसद में इस संबंध में सवाल किया था। जिसका जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने ये आंकड़े पेश किए हैं। वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंको को इस बात की इजाजत देता है कि वह अपनी सेवाओं के बदले में अपने ग्राहकों से कुछ चार्ज वसूल सकते हैं।

ये चार्ज निर्धारित करने की जिम्मेदारी बैंकों के बोर्ड्स की हैं। हालांकि आरबीआई के निर्देशानुसार, यह चार्ज रिजनेबल होने चाहिए और सेवाओं के औसत मूल्य से ज्यादा नहीं होने चाहिए।

सरकार के जवाब के अनुसार, देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने साल 2012 तक बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस पर चार्ज लगाए थे। हालांकि बाद में बैंक ने यह चार्ज वसूलना बंद कर दिया, लेकिन 1 अप्रैल, 2017 से एसबीआई ने फिर से अपने ग्राहकों से मिनिमम बैलेंस पर चार्ज वसूलना शुरु कर दिया।

आंकड़ों के अनुसार, पिछले साढ़े तीन साल के दौरान सरकारी बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस से कम होने पर लगाए गए चार्ज से जनता से करीब 6,246 करोड़ रुपए वसूले। वहीं एटीएम में फ्री ट्रांजैक्शन की तय सीमा के बाद लगाए जाने वाले चार्ज से करीब 4,145 करोड़ रुपए वसूले। इस तरह यह कुल आंकड़ा 10,391 करोड़ रुपए बैठता है।

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खास बात यह है कि अकेले पिछले वित्त वर्ष में देश भर के बैंकों ने ग्राहकों से मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माने के तौर पर 5000 करोड़ रुपये वसूले हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में उन ग्राहकों से जुर्माना वसूलने की राशि में काफी इजाफा हुआ है, जो अपने खाते में किसी भी वजह से न्यूनतम रकम नहीं रख पाए।

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