आज है माघी पूर्णिमा, जानें क्या है इसका महत्व और पूजा की विधि

माघी पूर्णिमा यानी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा 19 फरवरी, मंगलवार को है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस संबंध में बताया गया है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं।

माघी पूर्णिमा

इसलिए इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए, अगर ऐसा न हो सके तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर नहा लेना चाहिए। इसके अलावा गंगाजल का आचमन यानी हथेली में थोड़ा सा गंगाजल पी लेने से भी पुण्य मिलता है। माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना चाहिए। इससे हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

इस विधि से करें व्रत और पूजा-

माघी पूर्णिमा की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर पितरों का श्राद्ध कर गरीबों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, जूते, फल, अन्न आदि का दान करें।

इस दिन सोने एवं चांदी का दान भी किया जाता है। गौ दान का विशेष फल प्राप्त होता है। इसी दिन संयमपूर्वक आचरण कर व्रत करें। दिन भर कुछ खाए नहीं। संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।

इस दिन ज्यादा जोर से बोलना या किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। गृह क्लेश से बचना चाहिए। गरीबों एवं जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा या आपके मन, वचन या कर्म के माध्यम से किसी का अपमान न हो। इस प्रकार संयमपूर्वक व्रत करने से व्रती को पुण्य फल प्राप्त होते हैं।

इसलिए खास है ये तिथि

मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर देवता भी रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं। इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

जो श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग में एक मास तक कल्पवास करते हैं। माघी पूर्णिमा पर उनके व्रत का समापन होता है।

सभी कल्पवासी माघी पूर्णिमा पर माता गंगा की आरती पूजन करके साधु संन्यासियों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। बची हुई सामग्री का दान कर देवी गंगा से फिर बुलाने का निवेदन कर अपने घर जाते हैं।

कहते हैं कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से रोग दूर होते हैं। इस दिन तिल और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है।

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