महाराष्ट्र कैबिनेट ने इतने प्रतिशत मराठा आरक्षण के लिए मसौदा विधेयक को दी मंजूरी, हुआ था आंदोलन

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को उस मसौदा विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है, जिससे मराठों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से ऊपर बढ़ जाएगा। सरकार ने मंगलवार को एक दिन के लिए विशेष विधानसभा सत्र आयोजित किया जिसमें मराठा आरक्षण प्रमुख एजेंडा था।

मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस द्वारा मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल को आश्वासन दिए जाने के कुछ दिनों बाद विशेष सत्र आयोजित किया गया था। शिंदे और फड़णवीस की ओर से आश्वासन तब आया जब जारांगे-पाटील लगातार सातवें दिन उपवास कर रहे थे और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने लगी थी। कार्यकर्ता ने मराठा आरक्षण के संबंध में पिछले महीने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना को तत्काल लागू करने की मांग की थी। शिंदे ने कहा कि विशेष विधानसभा सत्र के दौरान रिपोर्ट पेश करने के बाद कानून की शर्तों के मुताबिक मराठाओं को आरक्षण दिया जाएगा।

जारांगे ने 50% की सीमा से परे स्वतंत्र मराठा आरक्षण के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि मराठा समुदाय की ओबीसी कोटा से आरक्षण की मांग सीमा के भीतर फिट बैठती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी रिकॉर्ड के आधार पर और ‘सेज सोयरे’ शब्दावली के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए। जारांगे ने विधानसभा सत्र के दौरान मुद्दे को टालने का प्रयास करने वाले विधायकों को ‘मराठा विरोधी’ करार देने की धमकी दी।

उन्होंने बुधवार से सरकार के साथ संभावित बातचीत रुकने और आगे के आंदोलन के लिए कार्ययोजना तैयार करने का भी संकेत दिया। आरक्षण की मांग को लेकर अंतरवली सराती में भूख हड़ताल पर बैठे जारांगे ने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस विशेष सत्र के दौरान कानून पारित करेंगे।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुनील शुक्रे की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग (एमबीसीसी) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण बढ़ाया गया था। मराठों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण करने के लिए जिम्मेदार आयोग ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा, जो 2018 में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा दिया गया था।

महाराष्ट्र में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत कोटा है, जिसमें मराठा सबसे बड़े लाभार्थी हैं। ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत, मराठा 85 प्रतिशत आरक्षण का दावा करते हैं।

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