Makar Sankranti 2021 : इन तीन चीजों के दान करने से आपको मिलेगा महालाभ, जाने इन विशेष चीजों के बारे में

पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन इन तीन चीजों का दान अवश्य करना चाहिए। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति का त्योहार सूर्यदेव को समर्पित होता है। ये भी माना जाता है, कि इस दिन से सर्दी के मौसम धीरे-धीरे कम होने लगता है। इस दिन से रात छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्यदेव को खुश करने के लिए अर्घ्य देकर उनसे प्रार्थना करते हैं।
इसी दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिषियों अनुसार मकर संक्रांति का पर्व इस साल गुरुवार, 14 जनवरी को मनाया जाएगा। ये भी माना जाता है, कि मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने से उसका सौ गुना फल मिलता है। साथ ही इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।


संक्रांति पर किन तीन चीजों का दान करना होगा सबसे अधिक फलदायी

  1. मकर संक्रांति के दिन गुड़ दान करने से घर में दरिद्रता का नाश होता है और घर में कभी धन की कमी महसूस नहीं होती है।
  2. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी सभी घरों में बनाई जाती है। और इसका दान भी किया जाता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति वाले दिन खिचड़ी का दान करने से घर में सुख-शांति आती है। कई जगहों पर खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। ये भी माना जाता है, कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।
  3. खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत है मकर संक्रांति। धर्मग्रंथों अनुसार इस दिन तिल दान करना अत्यंत फलदायी बताया गया है ।
    भारत देश में मकर संक्रांति को साल की शुरुआत में आने वाला साल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस पर्व को दान का भी पर्व कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान, पूजा-अर्चना करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्याग कर उनके घर गए थे। इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत भी मानी जाती है। मकर संक्रांति के दिन को सुख और समृद्धि का दिन भी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन से देवताओं का दिन आरंभ हो जाता है, जो आषाढ़‍ मास तक रहता है। इसी दिन खरमास भी समाप्त होने और शुभ मास प्रारंभ होने के कारण लोग दान-पुण्य से अपनी शुरुआत करते हैं। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पौंगल के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी पर्व कहा जाता है।

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