भारत यहां स्थापित कर रहा है तीसरा नौसैनिक अड्डा, चीन की बढ़ी चिंता
नई दिल्ली। चीनी नौसेना की हरकतों की निगरानी करने के लिए भारत बृहस्पतिवार को हिंद महासागर में अपना तीसरा नेवी बेस खोलने जा रहा है। भारत अपनी सीमा में स्थित दूरस्थ द्वीप समूह अंडमान और निकोबार में अपना तीसरा नौसैनिक अड्डा स्थापित करने जा रहा है।
इससे उसके गश्ती विमान हिंद महासागर में प्रविष्ट होने वाले चीनी नौसेना के युद्धपोतों समेत सभी जहाजों पर मलक्का जलडमरू मध्य से ही नजर रख पाएंगे।
चीन आक्रामक तरीके से नौसेना का विकास कर रहा है, श्रीलंका और पाकिस्तान के जरिये भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका में हंबनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर में चीन ने कारोबार के लिए बंदरगाह स्थापित किए हैं लेकिन जरूरत के वक्त उनका सैन्य इस्तेमाल करने से उसे कोई नहीं रोक पाएगा। भारत के लिए यही चिंता की बात है। इसी के चलते भारतीय नौसेना ने नई रणनीति बनाई है।
2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने मजबूत भारत के निर्माण की घोषणा की थी। उसी के बाद नौसेना ने यह रणनीति तैयार की। नौसेना के अनुसार जल्द ही नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा आइएनएस कोहासा नाम के इस नए नौसैनिक अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यह पोर्ट ब्लेयर से 300 किलोमीटर की दूरी पर होगा
नौसेना के अनुसार मौके द्वीप पर इस समय एक हजार मीटर की हवाई पट्टी है जिससे डोर्नियर सर्विलांस प्लेन और हेलीकॉप्टर उड़ सकते हैं। जल्द ही वहां तीन हजार मीटर लंबी हवाई पट्टी विकसित की जाएगी जिससे सभी तरह के लड़ाकू विमान उड़ सकेंगे।
हर साल करीब 1,20,000 मालवाही जहाज हिंद महासागर से गुजरते हैं। इनमें से 70,000 मलक्का जलडमरू मध्य के करीब से गुजरते हैं। नौसेना के पूर्व अधिकारी अनिल जयसिंह के अनुसार अगर हम हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी की निगरानी करना चाहते हैं तो हमें अंडमान-निकोबार में खुद को साधन संपन्न बनाना होगा। वहां पर हवाई अड्डा विकसित कर बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है।Indian Navy
जरूरत पड़ने पर उसका सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। चीन की साजिश के संकेत 2014 में तब मिल गए थे जब उसकी पनडुब्बी ने श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह के नजदीक लंगर डाल लिया था। तब भारत सरकार द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद श्रीलंका के अधिकारियों ने पनडुब्बी हटाने के लिए चीन से कहा था।
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इस नौसैनिक अड्डे की क्या होगी खासियत
यह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में नौसेना का तीसरा बेस है
यहां 1,000 मीटर लंबे रनवे पर हेलीकॉप्टरों और डोर्नियर सर्विलांस एयरक्राफ्टों का संचालन होगा
रनवे को बढ़ाकर 3,000 मीटर किया जाएगा, जिससे लड़ाकू विमानों को भी तैनाती मिल पाएगी
मलक्का जलसंधि के बेहद करीब है, जहां से इस क्षेत्र पर आसानी से नजर रखी जा सकती है
हर साल करीब 1 लाख 20 हजार जहाज हिंद महासागर से गुजरते हैं, जिनमें से 70 हजार मलक्का जलसंधि से जाते हैं