
भारत में अचानक देखते ही देखते कोरोना ने विकराल रूप धारक करके नरसंहार करना शुरु कर दिया। सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि लोगों को पता ही नहीं चला। कुछ महीनों पहले भारत में कोरोना के आंकड़े थम से गए थे। सभी पाबंदियो को वापस लिया जा चुका था। हर तरफ बाजारें खुलने लगी थी। सड़कों पर लोगों का तांता एक बार फिर से लगने लगा था। तब आखिर कैसे यह कोरोना संक्रमण इतनी जल्दी जानलेवा बन गया? यह सवाल हम नहीं कर रहे बल्कि देश की तमाम जनता उन लोगों से कर रही है जो इस महामारी में सब कुछ नियंत्रण होने के दावे करने में लगे हुए थे।

दरअसल, हालात कुछ हद तक सुधरने ही लगे थे जिसके बीच राज्य सरकारों ने इसे लेकर बड़ी ढिलाई करी। यदि बात करें जानकारों की तो उनके अनुसार कोरोना के मामलों में आई मामूली कमी के बाद सरकार के द्वारा दी जाने वाली छूट ने ही कोरोना की दूसरी लहर को जन्म दिया है। जिस संक्रमण की कड़ी को हम सभी ने मिल कर तोड़ा उसे सरकार की छूट ने एक बार फिर से जोड़ने का काम किया। जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने है। इस दौरान राजनीतिक रैलियों में उमड़ी भीड़, नेताओं का चुनाव-प्रसार और धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने इस वायरस को एक जगह से दूसरी जगह तक तेजी से पहुंचाया। जिसके कारण यह चैन बढ़ती चली गई और देश में तबाही मचा रही है।
