भारतीय मूल की जुड़वां बहनों ने जीते एक लाख डॉलर

भारतीय मूलन्यूयॉर्क| भारतीय मूल की एक जैसी दिखने वाली जुड़वां बहनों और एक अन्य किशोर ने 17वां वार्षिक सीमन्स गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता का एक लाख रुपये का वजीफा पाया है। यह राशि उनकी अपनी चिकित्सा परियोजनाओं के साथ है। आद्या और श्रीया बीसाम को संयुक्त रूप से टीम के लिए प्रतियोगिता के फाइनल में मंगलवार को यह पुरस्कार मिला।

इन्हें यह पुरस्कार दिमाग को स्कैन करके और मनोविकृति मूल्यांकन का इस्तेमाल कर सिजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग) का पहले ही विश्लेषण कर लेने का एक तरीका विकसित करने की परियोजना के लिए मिला। दोनों टेक्सास के प्लानो में 11वीं की छात्रा हैं।

विनीत इदुपुगांति ने व्यक्तिगत श्रेणी का यह पुरस्कार प्राकृतिक तरीके से सड़नशील (बायोडिग्रेडेड) बैटरी के लिए जीता। इसका इस्तेमाल चिकित्सकीय उपकरणों के लिए किया जा सकता है।

यह वैसे उपकरणों में इस्तेमाल के लिए है, जिसका इस्तेमाल आंतरिक अंगों की हालत का पता लगाने और उनकी जांच करने के लिए निगला जा सकता है। वह ओरेगन राज्य के पोर्टलैंड के 12वीं कक्षा के छात्र है।

सीमेंस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेविड इत्जविलर ने कहा कि जुड़वां बहनें बीसैम और इडुपुगांति चिकित्सा की अपनी उन्नत जानकारी और विभिन्न तरह की बीमारियों को पहचानने के लिए तैयार की गई तकनीकों से हमें मदद करके दुनिया भर के लाखों लोगों का जीवन बदलने को तैयार हैं।

भारतीय मूल के तीनों ने व्यक्तिगत वर्ग में भी अन्य पुरस्कार जीते और दो अन्य ने एक साझा टीम पुरस्कार जीता।

व्यक्तिगत श्रेणी की छात्रवृत्ति कैलिफोर्निया के लॉस अल्टोस स्थित उच्च विद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्र मनन शाह ने जीता। उसे 50 हजार डॉलर मिले। टेक्सास के प्लानो के प्रतीक कलाकुंतला को 30 हजार डॉल का पुरस्कार मिला। इलिनोस के टावर लेक के प्रणव शिवकुमार को 20 हजार डॉलर मिला।

उच्च विद्यालय के अंतिम विद्यालय के छात्र निखिल चीरला और कैलिफोर्निया के कुप्रतिनो से दसवीं कक्षा की छात्रा अनिका चीरला, दोनों ने 50 हजार डॉलर का टीम स्पर्धा का पुरस्कार जीता है।

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