200 किलोमीटर घूम कर पड़ोसी को पहुंचती हैं इस गांव की चिट्टियां

भारतीय डांकलखनऊ। आज की तमाम नई सुविधाओं के सामने भारतीय डांक की प्रथा धीरे-धीरे कम होती जा रही है। फतेहपुर, कन्नौज, झींझक, उन्नाव या कानपुर देहात से पड़ोसी को भी पत्र या पार्सल भेजा जाए तो वह 200 किलोमीटर के बाद ही पहुंचता है। कारण यह है कि किसी भी पोस्ट आफिस या लेटर बॉक्स में पत्र डालने पर उसे आरएमएस भेजा जाता है। वहां से छंटनी के बाद संबंधित क्षेत्र के डाकघर को पत्र बंटने के लिए भेज दिया जाता है।

भारतीय डांक की व्यवस्था..

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लंबी दूरी तय करने से पार्सल में देरी होती है। यही वजह है कि लोग डाक विभाग को छोड़कर कोरियर पर विश्वास करते हैं। इस बात पर अखिल भारतीय रेल डाक सेवा कर्मचारी संघ के केंद्रीय पदाधिकारियों ने चिंता जताई है।

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पदाधिकारियों ने बैठक के दूसरे व अंतिम दिन समस्या समाधान के लिए आंदोलन करने का आह्वान किया। संघ के अध्यक्ष डॉ. सुरेश गुप्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि मेल मोटर वर्ग में ड्राइवरों की कमी है। ठेके पर ड्राइवर गाड़ी चलाते हैं। महासचिव एम कृष्णन ने कहा कि एकजुट हो जाएं नहीं तो प्राइवेट हाथों में चला जाएगा। कोषाध्यक्ष अनूप मिश्र ने बताया कि क्षेत्रीय पदाधिकारी भी आए।

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