भाजपा सरकार में भी शिक्षा का स्तर बदहाल, दो शिक्षकों पर गिर सकती है गाज, यह है वजह…

प्रयागराज। यूपी में अभी भी शिक्षा का स्तर बेहद खराब है। सभी डिग्री कॉलेजों में प्रिसिपल और प्रोफेसरों की भर्ती कराने वाले उत्ततर शिक्षा सेवा आयोग एक बार फिर से इस सिलसिले में विवादों में है। यहां पर एक बार फिर से दो शिक्षकों को जरूरी योग्यता ना होने के कारण गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

जेएनयू छात्रों के विरोध प्रदर्शन

अदालत ने इस मामले में न सिर्फ यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया है, बल्कि इन दोनों सदस्यों की नियुक्ति से जुड़े सभी रिकॉर्ड भी तलब कर लिए हैं। यूपी सरकार को दोनों सदस्यों की नियुक्ति से जुड़े रिकॉर्ड एक हफ्ते में कोर्ट में पेश करने होंगे।

चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच इस मामले में 27 नवम्बर को फिर से सुनवाई करेगी। अखिलेश राज में हाईकोर्ट यहां के तत्कालीन चेयरमैन और तीन सदस्यों को गलत तरीके से नियुक्त किये जाने के मामले में बर्खास्त कर चुका है।

जेएनयू छात्रों के विरोध प्रदर्शन में साथ आया डीयू, अब किस बात पर संभलेगा विवाद

दो सदस्यों की नियुक्ति के रिकार्ड तलब किये जाने के बाद कहा जा सकता है कि सरकार बदलने के बावजूद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में हुई नियुक्तियों से विवादों का नाता छूटने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रतियोगी छात्रों की संस्था प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति का आरोप है कि यूपी के डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल व प्रोफेसरों की नियुक्ति करने वाले उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में दो सदस्यों डा. कृष्ण कुमार और डा. हरबंश की नियुक्ति नियमों की अनदेखी करके की गई है। इनमें से कृष्ण कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर हैं जबकि डा. हरबंश एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर हैं।

नियम यह है कि किसी युनिवर्सिटी में दस साल तक प्रोफेसर का अनुभव रखने वाला या फिर डिग्री कॉलेज में पंद्रह साल प्रोफेसर या फिर दस साल प्रिंसिपल रहने वाला ही उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में सदस्य नियुक्त हो सकता है। इसके साथ ही किसी ख्याति प्राप्त विद्वान् को भी सदस्य बनाया जा सकता है।

महाराष्ट्र में आज बन सकती है बात, NCP – कांग्रेस की अलग-अलग बैठक…
समिति की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल में कहा गया है कि ये दोनों इनमें से किसी भी मानक को पूरा नहीं करते। इन दोनों सदस्यों की नियुक्ति पिछले साल तीन जून को हुई थी। मामले की सुनवाई बुधवार को चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई।

 

LIVE TV