जानिए कटने के बाद भगवान गणेश का सिर गया कहां?

भगवान गणेशसनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश को माना गया है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले हर व्यक्ति गणपति बप्पा की ही पूजा करता है। भगवान गणेश देवों के देव महादेव के पुत्र है जिनका सर हाथी का और बाकी शरीर मानव का है। गणपति बप्पा को गजमुख या गजानन के नाम से भी जाना जाता है। बप्पा के भक्तों के मन में कई बार ये सवाल जरूर उठा होगा कि भगवान गणेश का असली सर कहा गया? तो चलिए आज हम आपको पूरी कथा बताते है जिससे ये साफ़ हो जाएगा की बाप्पा का सर आकाश,धरती या पाताल कहां पर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार :-

माता पार्वती ने अपने तन के मैल से श्रीगणेश का स्वरुप तैयार किया था। एक बार वो स्नान करने गई तो उन्होंने बालक गणेश को द्वार पर पहरा देने का आदेश दिया। साथ ही ये भी कहा कि कोई भी अंदर प्रवेश न कर सके। माता की आज्ञा पाकर बालक गणेश पहरा देने के लिए द्वार पर ही खड़े हो गए।

इसी दौरान वहां पर महादेव आ गए और बालक गणेश ने उन्हें भी अन्दर जाने से रोक दिया।

महादेव ने कई बार बालक गणेश से आग्रह किया की वो उनकी माता के पति है। पर बाप्पा ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। जिसके बाद क्रोध में आकर महादेव ने गणेश का मस्तक काट दिया। जिसके बाद वह कटा हुआ मस्तक चंद्रलोक में चला गया।

जब माता पार्वती ने गणेश का कटा हुआ सिर देखा तो वे भगवान शंकर से रुष्ट हो गई। माता महादेव से गणेश को वापस सही सलामत लाने की मांग करने लगी। तब भगवान शिव ने भगवान गणेश के कटे हुए मस्तक की जगह हाथी का मस्तक जोड़ दिया।

जिसकी बाद से ये मान्यता मानी जाने लगी की भगवान गणेश का असली मस्तक चन्द्रमंडल में है।

जिसकी वजह से आज भी संकट चतुर्थी पर चन्द्रदर्शन व अर्ध्य देकर गणेश की उपासना को मंगलकारी बताया गया है।

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