बॉलीवुड के ‘जुबली कुमार’ उर्फ राजेन्द्र कुमार की ‘बर्थ एनिवर्सरी’ पर जानें उनसे जुड़े कुछ हैरतअंगेज किस्से
बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन अदाकारी से लोगों का दिल जितने वाले राजेन्द्र कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को हुआ था| आज के दौर में जहां कलाकारो को एक हिट फिल्म देने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता था वहीं साठ और सत्तर के दशक में राजेन्द्र कुमार की फिल्में सिल्वर जुबली पूरी करती थी तभी उन्हें जुबली कुमार का दर्जा भी दिया गया था। आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। तो चलिए इस मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ हैरतअंगेज किस्से…
बॉलीवुड के जुबली कुमार यानी राजेंद्र कुमार ने अपने करियर की शुरुआत साल 1950 में ‘वचन’ से की थी। हालांकि, इस फिल्म के लिए उन्हें 1500 रुपए फीस मिलनी थी पर नहीं मिली। कहते हैं अगर इंसान हुनरमंद हो तो वो क्या हासिल नहीं कर सकता? लेकिन कई बार होता जाता है की आपका हुनर भी काम नहीं आता है| फिर ऐसे में आपको किसी करिश्मे का इंतजार रहता है।
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कुछ ऐसा ही करिश्मा हुआ था एक्टर राजेंद्र कुमार के साथ। राजेंद्र कुमार ने स्टारडम की जो ऊंचाइयां छूईं वो आज तक कोई नहीं छू पाया। क्या आप जानते हैं कि इनकी सफलता की वजह एक भुतहा बंगला था? जी हां ये उन दिनों की बात है जब राजेंद्र कुमार फिल्म इंडस्ट्री में कदम जमाने में लगे हुए थे।
वो कई फिल्में कर चुके थे लेकिन सफलता हाथ नहीं लग पा रही थी वहीं दूसरी ओर वो अपने परिवार के लिए बड़े घर की तलाश भी कर रहे थे। तभी किसी ने उन्हें कार्टर रोड पर स्थित एक बंगले के बारे में बताया। राजेंद्र कुमार को वो बंगला पसंद आ गया लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उस बंगले को खरीद पाते। वो और परेशान हो गए, लेकिन कहते हैं कि भगवान एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा खोल भी देता है।
राजेंद्र कुमार के साथ भी यही हुआ। निर्देशक बी आर चोपड़ा के रूप में उन्हें उम्मीद की एक किरण नजर आई। बी आर चोपड़ा ने राजेंद्र कुमार को एक फिल्म के लिए एडवांस में पैसे दे दिए और साथ में दो फिल्मों का ऑफर भी। उन पैसों से राजेंद्र कुमार ने कार्टर रोड वाला वो बंगला खरीद लिया। सभी ने राजेंद्र को वो बंगला खरीदने के लिए मना किया और चेतावनी भी दी। उस बंगले के बारे में कहा जाता था कि वो भुतहा है और वहां भूतों का निवास है…लेकिन राजेंद्र नहीं माने। ना जाने क्यों उनका मन उस बंगले से हट ही नहीं रहा था।
कई लोगों ने राजेंद्र को चेताया कि ये बंगला उनके लिए अच्छा नहीं यहां से आवाजें भी आती हैं औऱ कई लोग यहां से भाग चुके है लेकिन राजेंद्र कुमार मानों उस बंगले के मोह में इतना फंस चुके थे कि उन्होंने किसी की नहीं सुनी। उसके बाद जो हुआ वो तो इतिहास ही बन गया। इस बंगले में रहने के दौरान राजेंद्र कुमार के करियर में करिश्माई उछाल आया और वो एक बाद एक कई हिट फिल्में देते गए।
राजेंद्र कुमार का स्टारडम ऐसा बढ़ा कि उनकी फिल्में सिनेमाघरों में 25 हफ्तों तक लगातार चलती रहतीं और रिकॉर्ड बनातीं। इसी की वजह से राजेंद्र कुमार का नाम जुबली कुमार पड़ गया। राजेंद्र कुमार उस वक्त सबसे अमीर स्टार बन गए थे। हालांकि कुछ वक्त बाद ही राजेंद्र कुमार के दौड़ते करियर में अचानक ही ब्रेक लग गया और उन्होंने सपोर्टिंग रोल की तरफ अपना रुख कर लिया। आगे कुछ ऐसे हालात बने कि राजेंद्र कुमार कुमार को अपना वो बंगला बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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उस वक्त राजेश खन्ना भी फिल्मों में कदम जमाने में लगे थे। राजेश खन्ना ने सोचा कि अगर उन्होंने राजेंद्र कुमार वाला बंगला खरीद लिया तो हो सकता है कि राजेंद्र कुमार के स्टारडम की कृपा उन पर भी हो जाए और राजेंद्र कुमार की तरह वो भी बड़े स्टार बन जाएं। और आप यकीन नहीं करेंगे.. हुआ भी यही। 12 जुलाई 1999 को राजेंद्र कुमार ने अंतिम सांस ली।