
इलाहाबाद। यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद द्वारा जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ हस्तक्षेप से इंकार कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने एनआरएचएम घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को सीबीईआई कोर्ट गाजियाबाद में ही अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने याचिका दाखिल कर सीबीआई के एनबीडब्लू को इस आधार पर चुनौती दी थी कि एनआरएचएम घोटाले के समय लोक सेवक थे और लोक सेवक के खिलाफ बगैर सरकार की अनुमति के मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
जबकि सीबीआई के वकील अमित मिश्रा ने हाईकोर्ट में बहस करते हुए दलील दी कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले आधार पर चार्जशीट दाखिल करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक नहीं है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण टण्डन की एकलपीठ ने याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। जबकि एनआरएचएम से ही जुड़े चार अन्य मामलों की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा इन मामलों में 10 लाख की धरोहर राशि जमा करने पर जमानत पर हैं। इस मामले में कई अधिकारियों ने भी धरोहर राशि कम करने की याचिका दाखिल की है।
सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। जिस पर 15 नवम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसला सुनायेगा।