खुल गए हैं बद्रीनाथ धाम के कपाट, जानें से पहले जानिए मंदिर का महत्व

आज से बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम शामिल हैं। वहीं देश की चारधाम यात्रा में द्वारका (गुजरात), पुरी (उड़ीसा), रामेश्वरम(तमिलनाडु) के साथ बदरीनाथ (उत्तराखंड) भी शामिल है।

बद्रीनाथ धाम

इसी कारण बदरीनाथ धाम उत्तराखंड के चारों धाम में सबसे खास माना जाता है। भगवान विष्णु के इस धाम के बारे में एक कथा प्रचलित है। पहले यह शिव की भूमि थी और बाद में श्री हरि विष्णु का निवास स्थान बन गया।

किंवदंतियों के अनुसार बताया जाता है कि बदरीनाथ में पहले भगवान शिव का निवास स्थान था। शिव यहां पर अपने परिवार के साथ वास करते थे। लेकिन एक दिन भगवान विष्णु ध्यान करने के लिए स्थान की खोज करने लगे तो उन्हें यह स्थान दिखाई दिया। यहां के वातावरण को देखकर वह मोहित हो गए। लेकिन वह जानते थे कि यह तो उनके आराध्य शिव का निवास है।

तभी उन्होंने एक बालक का रूप लेकर जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। मां पार्वती की नजर उन पर पड़ी और तो वह बालक को चुप कराने लगीं। लेकिन बालक चुप ही नहीं हुआ। मां पार्वती बालक को लेकर अंदर गईं तो शिव समझ गए कि यह तो विष्णु हैं। शिव ने पार्वती से कहा कि बालक को छोड़ दें वह अपने आप ही चला जाएगा। लेकिन मां नहीं मानी और उसे सुलाने के लिए भीतर लेकर चली गईं।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 12 मई को सुबह चार बजे से चलेगी दिल्ली मेट्रो

जब बालक सो गया तो मां पार्वती बाहर आ गईं। इसके बाद भगवान विष्णु ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और जब शिव लौटे तो उन्होंने कहा कि यह स्थान मुझे बहुत पसंद आ गया है। अब आप यहां से केदारनाथ जाएं, मैं इसी स्थान पर अपने भक्तों को दर्शन दूंगा। इस तरह शिवभूमि भगवान विष्णु का धाम बदरीनाथ के नाम से जानी गई।

एक और मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि एक बार मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से रूठकर मायके चली गईं। उन्हें मनाने के लिए भगवान विष्णु ने तप किया और मां लक्ष्मी की नाराजगी दूर की।

भगवान विष्णु को ढूंढते हुए मां उसी स्थान पर पहुंची जहां वह तप में लीन थे। उन्होंने देखा कि श्री विष्णु तो बेर के पेड़ पर बैठकर तपस्या कर रहे हैं। इसके बाद मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को ‘बदरीनाथ’ का नाम दिया। इसके बाद यह जगह बदरीनाथ के नाम से जानी जाने लगा।

यहां पहुंचने के लिए पहले ऋषिकेश पहुंचें। रेलमार्ग या सड़क मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। प्लेन से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी पहुंच सकते हैं। इसके बाद श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ होते हुए बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे।

LIVE TV