फूलपुर लोकसभा सीट बनी है कांग्रेस की साख का सवाल, पिछले कई चुनावों में मिली है हार

रिपोर्ट: सैय्यद आकिब रज़ा/ प्रयागराज 

नेहरु गांधी खानदान का पैतृक शहर होने और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रयागराज से चुनावी आगाज करने के चलते जहां कांग्रेस के लिए दोनों सीटें नाक का सवाल बनी हुई हैं.

लेकिन कांग्रेस की सीट कहे जाने वाली फूलपुर सीट अब कांग्रेस पार्टी की साख पर बन आयी है । फूलपुर संसदीय सीट के इतिहास पर नजर डालें तो फूलपुर लोकसभा सीट देश की आज़ादी के बाद से ही वीवीआईपी सीटों में शुमार रही है।

फूलपुर

यह सीट देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की राजनीतिक कर्मभूमि रही है। देश की आजादी के बाद लगातर तीन बार 1952,1957 और 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पंडित जवाहर लाल नेहरु में देश का नेतृत्व किया।

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उनके बाद इस सीट पर 1967 में विजय लक्ष्मी पंडित, 1969 में जनेश्वर मिश्र , 1971 में विश्व नाथ प्रताप सिंह समेत कई दिग्गज इस सीट से सांसद हुए। लेकिन पिछले कई चुनाव से कांग्रेस इस सीट को बचाने में नाकामयाब साबित हुई है।

इस बार भी कांग्रेस ने पंकज निरंजन पटेल को टिकेट दिया है जो अपना दल कृष्णा पटेल गुट से है। पंकज निरंजन का दावा है कि वो इस बार कांग्रेस को जीत दिला कर रहेंगे.

पंकज निरंजन पटेल का कहना है कि नोटबन्दी मुख्य मुद्दा रहेगा और उनकी टक्कर किसी प्रत्याशी से नही है।

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