उत्तराखंड का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा, बैंक से गायब इतने करोड़ रुपये
विभिन्न सरकारी योजनाओं में उत्तराखंड के 14,285 लोगों ने बैंकों से 196 करोड़ रुपये का कर्ज तो ले लिया है लेकिन अब वापस नहीं कर रहे हैं। बैंकों ने यह कर्ज वापसी न होने से एनपीए में दर्ज कर दिया है।
सोमवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 68वीं बैठक में यह बात सामने आई तो सब हैरान रह गए। दरअसल, यह पूरा पैसा उन योजनाओं के तहत बैंकों ने दिया है जो कि केंद्र या राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बैंकों और संबंधित विभागों को बैठक कर जल्द रिकवरी कराने के निर्देश दिए हैं।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से तमाम ऐसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे आम आदमी को स्वरोजगार के साथ ही आशियाना भी मिल सके।
इन योजनाओं को लागू कराने के लिए बैंकों के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। लक्ष्य के हिसाब से बैंकों ने ऋण आवंटित तो कर दिए लेकिन अब लोग पैसा नहीं लौटा रहे हैं। मजबूरी में बैंकों ने 14285 खातों को एनपीए घोषित कर दिया है। इन लोगों को 196.47 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था।
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किस योजना का कितना एनपीए
योजना का नाम एनपीए(करोड़ रुपये में)
प्रधानमंत्री रोजगार सर्जन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) 16.71
स्पेशल कंपोनेंट प्लान (एससीपी) 2.90
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना (वीसीएसजीवाई) 47.56
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) 1.77
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) 4.26
डीआरआई स्कीम 1.25
मुद्रा योजना 106.02
डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) 11.78
स्टैंडअप इंडिया 3.93
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) 0.32
कहीं दिवालिया न हो जाए सहकारी बैंक
वैसे तो इन योजनाओं के तहत एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, नैनीताल बैंक, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक से लोन लिया है लेकिन इनमें सहकारी बैंक की हालत सबसे खराब है। सहकारी बैंक का सर्वाधिक 75 प्रतिशत एनपीए हो गया है। ऐसे में इस बैंक का अस्तित्व ही संकट में आ गया है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी इस पर चिंता जताई।
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क्या होता है एनपीए
एनपीए मतलब नोन परफॉर्मिंग एसेट। यह ऐसा पैसा होता है, जिसे बैंक लोन के रूप में किसी ग्राहक को देता है लेकिन वह लौटाता नहीं है। बैंक इसमें से जिस पैसे को रिकवर करने में असफल हो जाता है, उसे एनपीए में शामिल कर दिया जाता है। इसका मतलब यह है कि इस पैसे का देश की अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं रह जाता है।