प्रेरक प्रसंग : अपने जीवन को बनाएं सकारात्मक

किसी समय की बात है रामनगर शहर में एक प्रसिद्द चित्रकार रहता था. देश-विदेश में

शाम को जब वो पेंटिंग देखने चौराहे पर गया तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं… पेंटिंग पे सैकड़ों निशान लगे हुए थे.  वह बहुत निराश हो गया और चुपचाप अपनी पेंटिंग उठा कर अपने घर चला गया. इस घटना का उस पर बहुत बुरा असर हुआ. उसने चित्रकारी करना छोड़ दिया और लोगों से मिलने-जुलने से भी कतराने लगा. एक दिन उसके किसी दोस्त ने उसकी निराशा का कारण पूछा तब उसने उदास मन से उस दिन की घटना सुना डाली.

मित्र बोला, “एक काम करते हैं हम एक बार और तुम्हारी बनायी कोई पेंटिंग उस चौराहे पर रखते हैं.” और अगली सुबह उन्होंने चौराहे पर एक नयी पेंटिंग लगा दी. पेंटिंग लगाने के बाद चित्रकार उसके नीचे फिर से वही लाइन लिखने जा रहा था कि “जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं  कोई कमी नज़र आये  वह  उस जगह एक निशान लगा दे.“

कि तभी दोस्त ने उसे रोका और कहा इस बार लिखो- “जिस किसी को भी इस पेंटिंग में कहीं भी कोई कमी दिखाई दे उसे सही कर दे!” शाम को जब दोनों दोस्त उस पेंटिंग को देखने गये तो उन्होंने  देखा कि पेंटिंग जैसी सुबह थी अभी भी बिलकुल वैसी की वैसी ही है!

दोस्त चित्रकार को देखकर मुस्कुराया और बोला, “कुछ समझे…. कोई भी मूर्ख गलतियाँ निकाल सकता है और ज्यादातर मूर्ख निकालते ही हैं…लेकिन गलतियाँ सुधारने वाले बहुत कम ही लोग होते हैं… बेकार में ऐसे लोगों की राय लेने का कोई फायदा नहीं जो सिर्फ और सिर्फ दूसरों की गलतीयां निकालना चाहते हैं… उन्हें नीचा दिखाना चाहते हैं…. लेकिन उनको सुधारने के लिए न उनके पास समय है और न ज्ञान. इसलिये गलती तुम्हारे चित्र में नहीं बल्कि गलती ऐसे लोगों से सलाह मांगने में है!” चित्रकार अपने दोस्त की बात समझ चुका था और अब वह दुबारा अपना मनपसंद काम करने लगा.

दोस्तों इस कहानी से हमें कुछ महत्त्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं! हमें वैसे इंसानों से बचना चाहिए जो सिर्फ गलतियाँ निकालना जानते है! हमें वो इंसान बनना चाहिए जो औरों की गलती को सुधार कर उनके जीवन को सकारात्मक बना सके.

उसकी चित्र प्रदर्शनी देखने हजारों लोग आते थे और उसके काम की प्रशंसा करते नहीं थकते थे.

एक बार उसने सोचा कि कहीं ऐसा तो नही कि लोग सिर्फ उसके मुंह पे उसकी तारीफ़ करते हैं और पीठ पीछे उसके काम में कमी निकालते हैं. यही सोच कर उसने अपनी बनायी एक मशहूर पेंटिंग सुबह-सुबह शहर के एक व्यस्त चौराहे पर लगा दी और नीचे लिख दिया- “जिसे भी इस पेंटिंग में कहीं  कोई कमी नज़र आये  वह  उस जगह एक निशान लगा दे.”

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