प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रिपोर्ट के बाद बेनकाब होंगे कई बड़े नेता, डी-कंपनी से संबंधों का शक

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने डी-कंपनी के प्रमुख सदस्य और नशीले पदार्थों के तस्कर इकबाल मिर्ची के सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की है. इससे एक पूर्व नागरिक विमानन मंत्री समेत कई बड़े राजनेता मुसीबत में फंस सकते हैं. ईडी के अधिकारी मिर्ची के दोनों सहयोगियों से राजनेताओं और बिल्डरों से उनके संबंधों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. इन राजनेताओं और बिल्डरों का संबंध कथित रूप से डी-कंपनी की प्रमुख संपत्तियों से संबंधित लेन-देन से है.

प्रवर्तन निदेशालय

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मिर्ची के सहयोगी हारून यूसुफ और रंजीत सिंह बिंद्रा कथित रूप से मिर्ची की तीन प्रमुख संपत्तियों में बेचने के मामले में शामिल हैं. मिर्ची की मौत 2013 में हो चुकी है. पॉश इलाके वर्ली में स्थित ये इमारतें राबिया मेन्शन, मरियम लॉज और सी व्यू हैं. ईडी के सूत्रों के अनुसार, करोड़पति प्रॉपर्टी डीलर बिंद्रा के राजनीतिक और कार्पोरेट सेक्टरों में अच्छे संपर्क हैं. जहां बिंद्रा ने बड़े और सशक्त लोगों से संपर्क किया, वहीं यूसुफ ने हवाला के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया.

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रजिस्ट्री के दस्तावेजों में इमारतों के वास्तविक मालिक सर मोहम्मद यूसुफ ट्रस्ट के चेयरमैन के पद पर जाने के लिए यूसुफ पर डी-कंपनी का हाथ था. ये सौदेबाजियां मिर्ची के मालिकाना हक पर पर्दा डालने के लिए कई परतों में की गईं. ईडी ने पाया कि ये इमारतें दाऊद-मिर्ची गिरोह के आपराधिक कामों की कमाई से खरीदी गई थीं. सूत्रों ने कहा कि ये संपत्तियां अवैध तरीके से 1990 के शुरुआती दशक में मिर्ची के नाम स्थानांतरित की गई थीं. मुंबई सीरियल बम हमलों की जांच के दौरान ये संपत्तियां डी-कंपनी से संबद्ध पाई गईं और इन्हें जब्त कर लिया गया.

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