प्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया के बाद अब स्वाइन फ्लू हुआ बेकाबू , मरीजों की संख्या 381 तक पहुंची
शकुन्तला
उत्तरप्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया के प्रकोप के बाद अब स्वाइन फ्लू ने अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए है। प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या 381 हो गयी है। स्वाइन फ्लू के मामलो में गाजियाबाद पहले स्थान पर है, दूसरे स्थान पर गौतम बुद्ध नगर और लखनऊ तीसरे स्थान पर है। इन तीनो जिलों को मिला कर ही 294 स्वाइन फ्लू के मरीज है।
प्रदेश में डेंगू और चुकनगुनिया के बेकाबू होने के बाद अब स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है। स्तिथी यह है की प्रदेश के तीन जिलों में ही सबसे ज्यादा 294 स्वाइन फ्लू के मरीज पाए गए है। शासन की ओर से स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ कर्मियो को टीकाकरण करने के निर्देश दिए है गए है साथ ही अस्पतालों में मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाने के आदेश भी जारी कर दिए गए है।
प्रदेश में बारिश खत्म होने के बाद मच्छरो से फैलने वाली बीमारियों के बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ। एक महीने (30 अगस्त से 30 अक्तूबर) के अंदर ही डेंगू के मरीज की संख्या 379 से बढ़कर 5943, मलेरिया 1140 से बढ़कर 3477 और चिकनगुनिया से मरीज 11 से बढ़कर 38 तक पहुंच गए। स्वास्थ्य विभाग इस दावेसे ही लोगो को आश्वस्त कर रहा है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल मच्छर से फैलने वाली बीमारियों के केस की संख्या कम है। स्वास्थ विभाग के इसी दावे के बीच स्वाइन फ्लू के मरीजोंं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने लगी है।
30 अगस्त तक प्रदेश में स्वाइन फ्लू के सिर्फ 64 केस थे और इसके मरीज 19 जिलों में थे। सबसे ज्यादा 22 मरीज गौतमबुद्ध नगर और 17 मरीज लखनऊ में थे। लेकिन 30 अक्तूबर तक यह संख्या बढ़कर 381 पहुंच गई है। प्रदेश के 44 जिलों में इसके मरीज पाए गए हैं। अब तक दो मरीजों की मौत भी हो चुकी है। रिपोर्ट्स का कहना है कि पहले जो मरीज डेंगू की चपेट में आए थे, बाद में उन्हें स्वाइन फ्लू होने पर उनकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो गयी है। राजधानी लखनऊ के अस्पताल में कई ऐसे भी मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें डेंगू के साथ स्वाइन फ्लू भी पाया गया है। इन मरीजों को आईसीयू में रखना पड़ा है।
क्या कहते है अधिकारी
विशेषज्ञों का कहना है की हर तीन से चार साल में स्वाइन फ्लू के केस बढ़ते है। त्योहारों की छुट्टियों के चलते लोगो के आवागमन से पिछले दो सालो के मुकाबले इस साल केस ज्यादा बढे है। स्थिति पर काबू पाने के शासन द्वारा सभी जिलों के मुख्य चिकत्सा अधिकारियो को निर्देश दे दिए गए है और स्वास्थ कर्मियों को जल्द से जल्द टीकाकरण करवाने को कहा गया है। अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाने और दवाओँ के इंतजाम रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी निगरानी भी की जा रही है।
विशेषज्ञों की राय
स्वाइन फ्लू के लेकर घबराने की जरूरत नहींं है। लक्षण दिखते ही जांच कराएं और मास्क का प्रयोग करे जिससे रेस्पेरेटरी से संबंधित सभी बीमारियों के होने का खतरा कम किया जा सकता है। कोविड की तरह ही स्वाइन फ्लू में भी मास्क अपनाने की जरूरत है। मरीजों के बढ़ने की दूसरी वजह यह भी है कि पहले मरीजों का निमोनिया समझ कर इलाज होता था। लेकिन अब लक्षण दिखते ही तत्काल स्वाइन फ्लू की जांच कराई जा रही है। इस वजह से भी मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे पीड़ित मरीज को समय पर इलाज मिल जा रहा है और वो ठीक हो रहे हैं।