प्रदूषण को लेकर दिल्ली-एनसीआर को पड़ी सुप्रीम कोर्ट से फटकार

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जहरीली हवा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिए जिंदगी और मौत का सवाल बन गयी है. न्यायालय ने वायु प्रदूषण को काबू करने में विफल रहने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को फटकार लगायी और कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं तो उन्हें सत्ता में रहने का भी कोई अधिकार नहीं है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा, ‘‘आप वास्तविकता से दूर रहकर केवल शासन करना चाहते हैं. आपको परवाह नहीं है और आपने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है.’’ न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों को उनके यहां पराली नहीं जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को आज से सात दिन के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल का वित्तीय सहयोग देने का निर्देश दिया. तीन राज्यों में पराली जलाया जाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए 44 प्रतिशत जिम्मेदार है.

पराली जलाने पर प्रतिबंध

सोमवार को न्यायालय ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया था लेकिन किसानों ने उसके आदेश के बावजूद पराली जलाना जारी रखा. अदालत ने साथ ही कहा था कि यदि ऐसी एक भी घटना होती है तो अधिकारी जिम्मेदार होंगे. अदालत ने कहा कि सरकार को जिम्मेदार ठहराना होगा.

न्यायमूर्ति मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों से सवाल किया, ‘‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे. क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’’ प्रदूषण मामले पर सुनवायी करीब तीन घंटे चली. न्यायालय आम तौर पर सवा छह बजे बंद होता है लेकिन इसकी सुनवायी उसके आगे भी जारी रही. पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’’

पराली जलाने पर रहेगा कड़ा प्रतिबंध- 

अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्यों की ओर से पराली जलाने से रोकने के लिए अग्रिम में कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गए. अदालत ने कहा, ‘‘आप पहले से इसके (पराली जलाने से रोकने) लिए तैयार क्यों नहीं थे? आपने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये हैं? यदि राज्य सरकारें यह नहीं कर सकती तो उन्हें जाने दीजिये. हमें परवाह नहीं.

यदि आपको लोगों की परवाह नहीं तो आपको सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं.’’’ पीठ ने कहा, ‘‘सरकार चलाना या यह सिखाना कि आपको जमीनी स्तर पर क्या करना है, अदालत का काम नहीं है. आपके पास कोई विचार नहीं है, इससे निपटने के लिए कोई रूपरेखा नहीं है.’’ अदालत ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए यह जीवन और मरण का सवाल है क्योंकि वे कैंसर और अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारियों से पीड़ित हैं.

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अदालत ने कहा, ‘‘इसके कारण कितने लोग कैंसर, अस्थमा और अन्य ऐसी बीमारियों से पीड़ित होंगे? हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते किस तरह की बीमरियां हैं.’’ पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं.

उन्हें गरीबों की चिंता नहीं है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम देश की लोकतांत्रिक सरकारों से पराली जलाने और प्रदूषण से निपटने के लिए और काम करने की उम्मीद करते हैं.’’ पीठ ने कहा,‘‘आपको इससे शर्म नहीं आती कि उड़ानों के मार्ग बदले जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं.’’ न्यायालय ने सवाल किया कि राज्य सरकारें क्यों किसानों से पराली नहीं खरीद सकती. न्यायालय ने कहा कि ‘‘कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों के हितों को देखना राज्य की जिम्मेदारी है.’’

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