गंगा का अपमान करने की मिली सजा, सभी डीएम हाई कोर्ट में तलब

पॉलीथिन पर पाबंदीदेहरादून। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गंगा प्रबंधन बोर्ड गठित करने के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर केंद्रीय जल संसाधन सचिव को 20 मार्च को रिकॉर्ड के साथ पेश होने का आदेश पारित किया है। साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार के गंगा प्रबंधन बोर्ड के गठन के लिए अतिरिक्त समय देने संबंधी प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया।

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने तथा उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पाबंदी लगाने के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर हाई कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी 13 जिलाधिकारियों को 17 मार्च को अब तक हुई कार्रवाई के दस्तावेजों के साथ तलब किया है।

दस्तावेजों के आकलन में यदि यह पाया गया कि गंगा को स्वच्छ बनाने व पर्यावरण को पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए कार्रवाई नहीं की गई है तो संबंधित जिले के डीएम को हाथों-हाथ अवमानना नोटिस थमाया जाएगा। यह पहला मौका है जब हाई कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर सभी जिलों के जिलाधिकारियों को एक साथ तलब किया गया है।

पिछले साल दो दिसंबर को वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की खंडपीठ ने हरिद्वार निवासी अधिवक्ता ललित मिगलानी की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए 26 बिंदुओं पर दिशा-निर्देश जारी किए थे। याचिका में गंगा में गंदगी को गिरने से रोकने के लिए सख्त आदेश जारी करने का आग्रह किया गया था।

सोमवार को खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता मिगलानी ने आदेश की कॉपी के साथ प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया था कि सभी जिलों के डीएम को आदेश की कॉपी मुहैया कराने के बाद भी अब तक अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।

इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई और 17 मार्च को सभी जिलाधिकारियों को दस्तावेजों के साथ पेश होने के आदेश पारित किए। नैनीताल में डीएम दीपक ने स्वयं अधीनस्थों के साथ छापामार कार्रवाई कर पांच सौ क्विंटल पॉलीथिन जब्त की है और करोड़ों का जुर्माना लगाया गया है।

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