जम्मू कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल बंद!

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए।

न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान को देखते हुए यह सुझाव दिया।

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पैलेट गन का विकल्प ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी।’

मुख्य न्यायाधीश एन. पॉल वसंत कुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा कि सिंह के बयान का यह भी मतलब है कि पैलेट गन घातक हैं।’

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अदालत ने कहा कि प्रक्रिया को उचित, निष्पक्ष होना चाहिए। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक उपचार किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है उन्हें उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए।और ‘सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को चिकित्सा दी जा रही है अथवा नही।  उन लोगों को दूसरे अस्पताल में भेजा जाए जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है।’

क्या है पैलेट गन, कैसे करती है काम

कश्मीर में विरोध को रोकने के लिए 2010 से ही पुलिस पैलेट गन का यूज कर रही हैं। तब पुलिस ने इसे नॉन-लीथल हथियार होने के चलते यूज करना शुरू किया था। नॉन-लीथल हथियार उन्हें कहा जाता है, जिसके यूज से मरने के चांसेस कम होते हैं लेकिन हर साल पुलिस इसका यूज बढ़ाती गई।

इस बंदूक से सैकड़ों छर्रे निकलते हैं जिनसे शरीर पर कई तरह की चोटें आ सकती हैं। छर्रे को तेजी से बाहर निकालने के लिए हाइड्रॉलिक बल का इस्तेमाल किया जाता है।

 

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