पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बोले- चुनाव आयोग फैसले जल्दी ले सकता था

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एस. कृष्णमूर्ति ने मंगलवार को कहा कि चुनाव निकाय ने लोकसभा चुनाव संचालन में ‘अच्छा काम’ किया लेकिन कुछ शिकायतों पर समय पर निर्णय किया जा सकता था।

उन्होंने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की इस मांग का भी समर्थन किया कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में उनकी असहमति को दर्ज किया जाना चाहिये था।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चुनाव आयोग ने अच्छा काम (चुनाव संचालन में) किया है, यथोचित बढ़िया।’’

पूर्व सीईसी ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य नहीं हुआ कि चुनाव आयोग पर राजनीतिक दलों ने हमला किया है। उन्होंने कहा कि संहिता उल्लंघन की शिकायतों के मामलों में जब फैसला किया जाता है तो इसे या तो इस पक्ष में अथवा उस पक्ष में होना होता है।

साल 2004 में आम चुनाव संपन्न करा चुके कृष्णपमूर्ति ने कहा कि चुनाव आयोग को कुछ फैसले समय पर ले लेने चाहिये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बात की भी आलोचना है कि एक चुनाव आयुक्त की असहमति दर्ज नहीं की गई। मैं इसमें कोई तर्क नहीं देखता कि क्यों असहमति दर्ज नहीं की गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (चुनाव आयोग) समय लेने के बजाए तेजी से काम करना चाहिये था। दूसरी बात यह कि जब भी एक नजरिया अपनाते तो उस समय वे तर्क दे सकते थे और तीसरी बात यह है कि अगर कोई कहता है कि असहमति दर्ज की जाए तो उसे दर्ज करना निष्पक्षता होती।

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उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास केवल एक ब्रह्मास्त्र है और वह है चुनावों को स्थगित करना लेकिन इसका प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिये।

पूर्व सीईसी ने कहा कि चुनाव आयोग को पर्याप्त सुरक्षा बल होने पर बल देना चाहिये और चुनावों को चार पांच चरणों में संपन्न किया जाना चाहिये।

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