यह है जानलेवा पुल, यहाँ जाने वालों की हो सकती है मौत!

पीपे का पुललखनऊ: रामनगर से शहर को जोड़ने वाला पीपे का पुल जानलेवा बन गया है। पुल पर लगे लकड़ी के गार्डर जर्जर हो चुके हैं। कई स्थानों पर गार्डर टूट गए हैं तो कुछ स्थानों पर बड़े होल हो गए हैं। लोग भगवान को मनाते हैं कि सकुशल यात्र हो जाए। कई गार्डरों के बीच की दूरी इतनी ज्यादा है कि जरा सी चूक से गंगा में गिरने की आशंका बनी है। करीब एक किमी लंबे इस पुल पर लकड़ी के ऊपर लोहे की चादरें लगी हैं मगर बेतरतीब हैं।

सब कुछ जानते हुए पीडब्ल्यूडी के अभियंता आंख बंद किए हैं। रामनगर से शहर आने के लिए गंगा नदी पर दो पुल बने हैं। इनमें मालवीय पुल एवं विश्व सुंदरीपुल के बजाए लोग पीपे के पुल से ही आते हैं। इससे करीब एक लाख लोग रोजाना गुजरते हैं।

पीपे का पुल बन गया है जानलेवा..

पीपे के पुल का टेंडर हर साल पीडब्ल्यूडी करता है। 15 दिसम्बर से 15 जून तक पुल संचालित रहता है। मगर पुल पर लगे लकड़ी के गार्डर इतने जर्जर हो गए हैं कि चार पहिया वाहनों के आवागमन के दौरान पूरा पुल नीचे-ऊपर होने लगता है। कई स्थानों पर इस बार लकड़ी के कई जर्जर गार्डर लगा दिए गये हैं। उसे छिपाने के लिए लोहे की चादर से ढक दिया गया।

गार्डर लगाने के बाद न तो विभाग देखने गया और न तो ठेकेदार। नियम है कि पीपे के पुल की रोज जांच होनी चाहिए। लोहे के चादर एक दूसरे से जुड़े होने चाहिए। जहां कभी भी लकड़ी जर्जर हो चुकी हो उसे बदला जाना चाहिए। ऐसा होता नहीं है।

पांटून पुल के जर्जर होने से कई हादसे भी हो चुके हैं। पिछले दिन एक मोटरसाइकिल सवार बाइक समेत गंगा में गिर गया था। दिन का समय होने से लोगों ने उसे बाहर निकाला था। इसके अलावा कई और हादसे हो चुके हैं। आए दिन लोगों की कार व बाइक लकड़ी की जर्जर गार्डरों में फंस जाती है।

पीपे के पुल पर मानकों का खुला उल्लंघन हो रहा है। नियम है कि दोनों छोर की ढलान पर लोहे की चादर बिछी होनी चाहिए मगर यहां ऐसा नहीं है। बालू के बीच बने रास्ते से गुजरते वक्त रोजाना लोग फंसकर या फिसल कर गिरते हैं। शिकायत के बावजूद पीडब्ल्यूडी ने चादर नहीं बिछाया।

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