पीएम मोदी ने पहनी सेना की वर्दी तो मचा कोहराम, जानिए क्या है पूरा मामला

पीएम मोदी हर साल की तरह इस साल भी जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए राजस्थान के जैसलमेर पहुंचे। जहां उन्होंने जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात जवानों के साथ दिवाली मनाई । इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को खोली चेतावनी भी दी। इस मौके पर पीएम मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत, सेना प्रमुख एम एम नरवणे और बीएसएफ के डीजी राकेश अस्थाना मौजूद रहे। जैसलमेर की लोंगेवाला पोस्ट पर जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत हमारे वीर जवानों को देश की सीमा की सुरक्षा करने से नहीं रोक सकती।

इस दौरान उन्होंने टैंक की भी सवारी की साथ ही पीएम मोदी ने टैंक से जवानों का अभिवादन स्वीकार कर उनकी हौसला आफजाई की। पीएम मोदी के टैंक में सवारी करने के दौरान जवान की जर्सी पहने हुए थे। जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। लेकिन इन तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक बहस छिड़ गई। कि एक लोकतंत्र में क्या एक अन्य नेता या नागरिक को सेना की वर्दी पहनने का हक है या भी सवाल उठता है कि लोकतंत्र के सैन्य नेतृत्व का फौजी यूनिफार्म है इस मामले को लेकर सेनासे रिटायर हो चुके लोगों से लेकर आम लोगों तक ने अपनी बात रखी।

इस मसले पर सैना से रिटायर हो चुके लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग (सेवानिवृत्त) ने एक ट्वीट में तंज करते हुए लिखा है, “सैल्यूट! आवर पीएम लीडिंग फ्रॉम दी फ्रंट।

ले.ज. प्रकाश कटोच (रि.) ने ट्विटर पर लिखा है, “हम कहां हमला करने जा रहे हैं – डेपसांग?”

पनाग ने उन्हें जवाब में लिखा है, “सर, मुझे भरोसा है कि वे वहां भी गए होंगे. गोपनीय!”

एक अन्य यूजर प्रशांत टंडन पूछते हैं कि क्या लोकतंत्र में चुने गए नेताओं को आर्मी यूनिफॉर्म पहननी चाहिए?


प्रशांत टंडन ने लिखा कि, “सैनिकों के साथ अपना लगाव दिखाने के लिए प्रतीकात्मक कैप या जैकेट पहनने तक तो ठीक है, लेकिन पूरी यूनिफॉर्म? यूनिफॉर्म पर लगने वाले निशान और तमगे कभी भी पीएम, रक्षा मंत्री या यहां तक कि सेनाओं के कमांडर इन चीफ राष्ट्रपति तक के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं.”

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