पीएम मोदी ने अपने एक फरमान से हिला दिया पूरा मंत्रालय, जिसने काटी होगी मौज…

पीएम मोदीनई दिल्ली। मोदी सरकार ने सत्ता में तीन साल पूरे होने से पहले ही सभी मंत्रलयों से कामकाज का हिसाब मांगा है। सरकार ने सभी मंत्रियों को पांच प्रमुख उपलब्धियों का ब्योरा देने को कहा है। वह उपलब्धियां ऐसी हों जिनसे लोगों को फायदा पहुंचा हो। साथ ही इसमें प्रमुख सुधारवादी कामों का जिक्र हो। इसके अलावा भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के समय से लेकर अब तक के आंकड़ों का तुलनात्मक ब्योरा भी मांगा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने इसी हफ्ते सभी मंत्रियों को एक पत्र भेजा जिसमें ऐसे सभी आंकड़े और विश्लेषण देने को कहा गया है। सभी मंत्रलयों से उपलब्धियां हासिल करके इन सभी जानकारियों को एक सरकारी पुस्तिका में प्रकाशित किया जाएगा। केंद्र सरकार की योजना इसे 26 मई से पहले प्रकाशित करने की है। इसी दिन नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता संभाले तीन साल पूरे हो रहे हैं। नायडू के लिखे इस पत्र में उन्होंने सभी मंत्रियों से जानकारियां तीन पन्नों के नोट में मोटे अक्षरों में मांगी हैं। इस नोट में सभी मंत्रलयों को पांच बिंदुओं पर काम करना होगा।

इससे पहले भी 21 मार्च को लिखे एक पत्र में नायडू ने मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से अपील की थी कि मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के लाए सकारात्मक बदलावों पर लोगों से बात करें। नायडू ने अपने पत्र में जोर देकर कहा है कि साफ है कि देश का जनमानस भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में है। हम सभी टीम मोदी का हिस्सा होने पर गौरव का अनुभव करते हैं।

इस सरकार ने पिछली सरकारों से इतर करोड़ों लोगों के भाग्योदय में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हम एक ठोस कार्ययोजना तैयार करनी होगी। हमें उन तथ्यों और आंकड़ों के साथ सरकार की उपलब्धियों को लोगों के सामने रखना होगा। नायडू के इस पत्र के मुताबिक सरकार ने उन मंत्रियों की भी एक सूची बनाई है जो उन्हें दिए गए विशिष्ट विषयों पर अपने नोट लिखेंगे।

उदाहरण के लिए विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर को प्रधानमंत्री के विदेश दौरों की झलकियों पर नोट लिखने को कहा गया है। इसमें इन दौरों से देश को हुए फायदे, विदेशी निवेश आदि का जिक्र होगा। इसीतरह सांसद स्वप्न दासगुप्ता और चंदन मित्र को बौद्धिक विषयों पर नोट लिखने को कहा गया है। साथ ही वादा के मुताबिक कम रोजगार की उपलब्धता, अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट जैसे संभावित नकारात्मक मुद्दों पर भी सरकार का पक्ष रखने को कहा गया है।

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