कश्मीर में शांति के लिए अब होगी राजनीतिक पहल

पीएम नरेंद्र मोदीनई दिल्ली| पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर के विपक्षी दलों से कहा कि कश्मीर घाटी में कई हफ्ते से जारी मसले के हल के लिए ‘बातचीत होनी चाहिए’ लेकिन कोई भी समाधान ‘संविधान के दायरे में ही हो सकता है।

प्रधानमंत्री के बयान से ऐसे संकेत मिले हैं कि सरकार कश्मीर में पांच हफ्ते से जारी अशांति से निपटने के लिए कुछ राजनीतिक पहल के बारे में सोच रही है।

सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों की झड़प में अब तक कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है। घाटी और दिल्ली में विपक्षी दल मसले के राजनीतिक हल के लिए दबाव बनाए हुए हैं।

जम्मू एवं कश्मीर के विपक्षी दलों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विगत पांच सप्ताहों से कश्मीर में उपद्रवों के दौरान हुई मौतों से वह चिंतित और व्यथित हैं।

बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उपद्रवों के दौरान जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, वे हमारे अपने, हमारे राष्ट्र के हैं।

चाहे ये खोई हुई जिंदगियां हमारे युवाओं की रही हों, या सुरक्षाकर्मियों व पुलिस की, इससे हम व्यथित हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल से कहा कि उनकी सरकार और देश जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के साथ है,

उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक दलों को लोगों के पास जाना चाहिए और यही बात उन्हें (लोगों को) प्रेषित करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने राज्य और वहां के लोगों के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील की।

मोदी ने बैठक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सुझावों की सराहना की।

उमर ने बाद में कहा कि हमने पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि कश्मीर का मसला विकास होने या नहीं होने का नहीं है।

यह एक राजनीतिक मसला है और हमने प्रधानमंत्री से कहा कि हम जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति से निपटने के लिए राजनीतिक पहल देखना चाहते हैं।

अगर हम इसका राजनीतिक समाधान नहीं ढूंढ सके तो हम हर बार समान गलती ही दोहराते रहेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी से पैलेट गन पर पाबंदी की मांग

प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें हिंसाग्रस्त राज्य में पेलेट गन के इस्तेमाल पर तत्काल पांबदी लगाने की मांग की गई है।

इसमें केंद्र को आगाह किया गया है कि वह कश्मीर मसले के हल के लिए राजनीतिक के बजाए प्रशासनिक उपायों की गलती को न दोहराए। यह भी कहा गया है कि छापा, गिरफ्तारी और उत्पीड़न को रोकने के लिए संबद्ध एजेंसियों को निर्देश दिया जाए।

अब्दुल्ला ने कहा कि हमारा दृढ़ मत है कि केंद्र सरकार को समय बर्बाद किए बिना संबद्ध पक्षों से बात शुरू करनी चाहिए।

जम्मू एवं कश्मीर की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष जी.ए.मीर प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद कुछ बेहतर होने के लिए आश्वस्त दिखे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने माना कि मसले के हल का इलाज सिर्फ विकास ही नहीं है।

इससे लग रहा है कि कश्मीर पर वार्ता के बारे में सोचा जा रहा है। यह जितनी जल्दी हो, उतना ही बेहतर है।

बता दें, कश्मीर घाटी में लगातार 45वें दिन कर्फ्यू जारी है। गत आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के हाथों आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पत्थरबाजी कर रहे ‘आजादी समर्थकों’ और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों के कारण कश्मीर घाटी अशांत है।

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