पापा नहीं रहे, अब पढ़ाई मुस्किल होगी, स्टुडेंट की बात सुनकर टीचर ने उठाया ये कदम

कोरोना संक्रमण ने कई परिवार से उनके अपने छीन लिए। कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। इस कोरोना महामारी ने गरीब वर्ग से आने वाले बच्चों को पढ़ाई से काफी दूर कर दिया। इनमें खासकर सरकारी स्कूलों के बच्चे थे, जिनके पास संसाधनों की कमी होने से वो ऑनलाइन क्लासेज से वंचित रहे। वहीं कोरोना के दौरान ऐसी कई तस्वीरें सामने आई जिसमें देखा गया कि कैसे श‍िक्षक पार्क, गली-नुक्कड़ों में जाकर गरीब वर्ग के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली के एक सर्वोदय विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल भारती कालरा एक मिसाल बनकर सामने आई। उन्होंने कोरोना काल में अनूठी पहल चलाकर करीब 27 लाख रुपये के मोबाइल ऐसे जरूरतमंद बच्चों को दिए जो इस संक्रमण से पढ़ाई से वंचित रहे। भारती कालरा के इस जज्बे को देख दिल्ली सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया।

आज तक की खबर के मुताबिक, भारती कालरा ने बताया कि कई पेरेंट्स की जॉब चली गई थीं। इसी दौरान एक बच्चा मुझसे मिलने आया। उससे मैंने पूछा कि क्लास क्यों नहीं कर रहे हो तो उसने बताया कि मैम, मैं क्लास अटेंड नहीं कर सकता क्योंकि फोन है नहीं और मेरे फादर की डेथ हो गई है। वो बच्चा 12वीं में था और उसका छोटा भाई 10वीं में था। मैंने उसकी समस्या सुनी तो रात भर सोचती रही, फिर उसको एक फोन लेकर दे दिया। फोन लेकर वो बोला कि मैम, इससे मेरा भाई भी अटेंड कर लेगा। इसके बाद हमने उसे फोन दे दिया ताकी वह उसके भाई बहन पढ़ाई कर सके।

भारती कालरा बताती है कि बच्चें को फोन देने के बाद उन्होंने सोचा की ऐसे ही कई बच्चें हैं। उनका क्या होगा। तभी उनके मन में यह आइडिया आया कि अगर ऐसे सभी बच्चों को फोन मिल जाए तो उनकी पढ़ाई आसान हो जाएगी। फिर ऐसे में व्हाट्सएप ग्रुप का मुझे बड़ा फायदा हुआ। रिश्तेदार , फ्रेंडस के ग्रुप, स्कूल फ्रेंड्स के ग्रुप में यह समस्या लिखकर बताई। तो सबने फोन डोनेट करने को कहा, हमने किसी से कैश न लेकर 8500 रुपये की एक निश्चित कीमत वाला फोन देने को कहा। इस तरह करते करते पहले 40 फोन हो गए, वो बांट दिए।

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