पति भी हुआ, सतीब्रेस्ट टैक्स के विरोध में ये क्या किया???

nangeli-1-650_030716015025एजेंसी/लखनऊ। भारतीय समाज में बहुत सी विविधताएं हैं तो तमाम विसंगतियां भी रही हैं। कई तो बहुत ही शर्मनाक हैं। ऐसी ही एक घटना केरल की सामंतवादी सोच की एक बानगी है। जिसमें एक महिला ने अपनी जान देकर क्रांति कर दी थी और स्त्रियों को स्तन के आकार के हिसाब से लगने वाले ब्रेस्ट टैक्स से मुक्ति मिल गयी थी। इसका दूसरा दुखद पहलू यह है कि इस महिला के पति ने भी अपनी पत्नी के बलिदान को सार्थक करते हुए उसकी चिता में जलकर जान दे दी थी।

केरल में 19वीं सदी में त्रावणकोर के राजा द्वारा निचली जातियों की महिलाओं के स्तनों पर ब्रेस्ट टैक्स लगाया जाता था। इस क्रूर टैक्स से बचने का सिर्फ एक ही तरीका था कि अपने स्तन उघारे कर के घूमो। यह न सिर्फ इन महिलाओं के लिए अपमानजनक था बल्कि सम्मानपूर्वक जीने का हक भी उनसे छीनता था। इसी ब्रेस्ट टैक्स के खिलाफ खड़ी हुईं एक महिला नानगेली। जिसने अपनी जान देकर इस प्रथा का ऐसा साहसिक विरोध किया कि क्रांति हो गयी। और यह साहसिक कदम इस ब्रेस्ट टैक्स के खात्मे की वजह बन गया।

निचली जाति की महिलाओं पर लगता था ‘ब्रेस्ट टैक्स’

यह टैक्स त्रावणकोर के राजा द्वारा लगाया जाता था। नियमों के मुताबिक उस समय निचली जाति की महिलाओं को अपने स्तन ढंकने की इजाजत नहीं थी। इसलिए सार्वजनिक जगहों पर अपने स्तनों को ढंकने के लिए राजा द्वारा उन पर ब्रेस्ट टैक्स लगाया जाता था। कहा जाता है कि टैक्स का निर्धारण स्तन के साइज के आधार पर होता था। यह टैक्स निचली जाति के लोगों को अपमानित करने और उन्हें कर्ज में डुबाए रखने के उद्देश्य से लगाया जाता था। ब्रेस्ट टैक्स के साथ-साथ निचली जाति के लोगों को जूलरी पहनने और पुरुषों को मूंछ रखने के अधिकार पर भी टैक्स लगता था।

नानगेली के बलिदान ने खत्म की ये क्रूर प्रथा:

नानगेली चेरथाला की निचली जाति की महिला थी। वह बेहद गरीब परिवार की थी और इस टैक्स का भुगतान करने में असमर्थ थी। इसलिए ब्रेस्ट टैक्स के खिलाफ विद्रोही तेवर दिखाते हुए नानगेली ने सार्वजनिक जगहों पर अपने स्तनों को न ढकने से इनकार कर दिया। जब टैक्स अधिकारकी नानगेली के घर पर ब्रेस्ट टैक्स लेने पहुंचा तो इस टैक्स के विरोध में नानगेली ने जो कदम उठाया उससे लोगों के होश उड़ गये। उसने अपने दोनों स्तनों को काटकर एक केले के पत्ते पर रखकर उस टैक्स अधिकारी के सामने रख दिया। यह देखकर टैक्स अधिकारी भाग खड़ा हुआ और खून से लथपथ नानगेली ने वहीं दम तोड़ दिया। नानगेली के मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैली और लोग इस टैक्स के खिलाफ उठ खड़े हुए। इस टैक्स के विरोध में नानगेली के पति चिरकुंडन ने उनकी चिता में कूदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। यह किसी पुरुष के सती होने की पहली ज्ञात घटना थी। नानगेली के इस कदम से लोग ब्रेस्ट टैक्स के खिलाफ उठ खड़े हुए और राजा को यह क्रूर टैक्स समाप्त करना पड़ा। चेरथाला की वह जगह, जहां पर नानगेली और उनके पति चिरकुंडन ने अपने प्राण त्यागे थे, उसे उनके सम्मान में मुलाचीपराम्बु (महिलाओं के स्तन की भूमि) के नाम से जाना जाता था। अब इसे मनोरमा कवाला (कवाला मतलब जंक्शन) के नाम से जाना जाता है। वह जगह जहां नानगेली की झोपड़ी थी, वह जगह आज भी अनछुई है।