न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के समर्थन में आए पूर्व न्यायाधीश

न्यायाधीशों की नियुक्तिनई दिल्ली| न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में पूर्व न्यायाधीशों ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रति समर्थन व्यक्त किया है और कहा है कि नौ महीनों से न्यायाधीशों की नियुक्ति को रोके रखना ‘अस्वाभाविक रूप से अत्यधिक लिया गया समय’ है। पूर्व न्यायाधीशों का यह भी कहना है कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्ति समय के अंदर न की गई तो लोगों को न्याय मिलने में देरी होगी, जो अंतत: न्याय देने की तरह है।

पूर्व महाधिवक्ता सोली सोराबजी ने कहा, “अगर हम समय के अंदर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते हैं तो निश्चित है कि लोगों को न्याय मिलने में देरी होगी। वास्तव में यह न्याय देने की तरह होगा। इस देरी के लिए सरकार किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दे सकती।”

उन्होंने कहा, “कोलेजियम द्वारा अनुमोदन मिलने के बाद सरकार की ओर से न्यायाधीशों की नियुक्ति में की जा रही देरी पर प्रधान न्यायाधीश का नाराजगी व्यक्त करना मेरे खयाल से बिल्कुल जायज है।”

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली ने कहा कि न्यायिक प्रशासन संवैधानिक सरकार का केंद्रीय तत्व है।

गांगुली ने कहा, “अगर न्यायाधीशों की कमी के चलते लोगों को न्याय न मिल सके और अदालत लोगों की शिकायतों की सुनवाई न कर सके तो इससे आपात स्थिति पैदा हो सकती है।”

उन्होंने कहा, “औसतन देश का हर उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की 30 से 40 फीसदी कमी के साथ काम कर रहा है। न्यायिक प्रशासन में यह बहुत बड़ी बाधा है। यहां तक कि यदि सभी रिक्तियां भर दी जाएं तो भी वह पर्याप्त नहीं होंगी। यह एक संस्था को बाधित रखने जैसा है।”

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