भूखे बच्चों के लिए नोट बदलने की दौड़ रोज लगाती थी, ‘अग्निपरीक्षा’ देकर भी हार गई

नोटबंदी ने मरने पर मजबूरअलीगढ़। एक महिला को नोटबंदी ने मरने पर मजबूर कर दिया। नोट न बदल पाने से निराश होकर उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। उसे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वह इतनी बुरी तरह जल चुकी थी कि डॉक्टर उसे बचा नहीं सके।

नोटबंदी ने मरने पर मजबूर…

अलीगढ़ की यह महिला दिहाड़ी पर मजदूरी करके जीवन यापन करती थी। उसके घर में भुखमरी की स्थिति है।

500 रुपये के छह पुराने नोट नहीं बदल पाने से क्षुब्ध होकर बीते 20 नवम्बर को रजिया (45) ने खुद को आग लगाली। बीते रविवार को दिल्ली में उसकी मौत हो गई।

जिले के दिल्ली गेट इलाके के शाहजमाल क्षेत्र की रहने वाली रजिया का बड़ा बेटा अयान नौ साल का है और उसका पति अकबर भी मजदूरी करता है। रजिया के परिजन परिवार की आर्थिक बदहाली के मद्देनजर पर्याप्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों तथा सपा के जिलाध्यक्ष बाबा फरीद द्वारा प्रभावित परिवार को आर्थिक मदद का आश्वासन दिये जाने के बाद ही रजिया की अंतिम विदाई की जा सकी।

मरने से पहले रजिया ने जिला अस्पताल में बयान दिया था कि उसके चारों बच्चे तीन दिन से भूखे हैं और उसे किसी भी बैंक से रुपए बदलकर नहीं मिल पा रहे हैं।

अपने बच्चों की ऐसी हालत वह देख नहीं पा रही थी। इस वजह से उसने खुद को मौत के हवाले करने का यह फैला लिया।

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