नीलगाय को मारने पर मोदी के मंत्रियों में ठनी

नीलगायनई दिल्ली : बिहार में फसल बर्बाद करने वालीं नीलगाय को मारने के सरकारी फरमान पर हंगामा खड़ा हो गया है। इस पर केंद्रीय मंत्री और एनिमल राइट एक्टिविस्ट मेनका गांधी और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडे़कर में ठन गयी है।

मेनका गाँधी पशुओं के संरक्षण के लिए आवाज उठाती रही हैं। मेनका का कहना है कि इस तरह नीलगायों को मारना गलत है। यह जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार करने जैसा है।

उन्होंने प्रकाश जावड़ेकर को घेरते हुए कहा कि यह समझ पाना मुश्किल हैं कि पर्यावरण मंत्रालय ऐसा क्यों कर रहा है। मेनका ने कहा कि ‘किसी भी राज्य ने खुद जानवरों को मारने की मंजूरी नहीं मांगी बल्कि ज्यादातर राज्यों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया है। पर्यावरण मंत्री खुद सक्रिय होकर जानवरों के पीछे पड़े हैं।’

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बिहार सरकार की मांग पर नीलगायों को संरक्षित जीव की श्रेणी से बाहर कर दिया और खेती को हानि पहुंचाने वाले जीवों की श्रेणी में रखा दिया।

नीलगाय मारने आए प्रोफेशनल शूटर

पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद पटना के मोकामा में प्रोफेशनल शूटरों को बुलाया गया है। बीते तीन दिनों में 250 से ज्यादा नीलगायों को मारा जा चुका है।

इस मुद्दे पर जावड़ेकर पहले तो प्रतिक्रिया देने से बचते रहे लेकिन बाद में कहा कि इस तरह का आदेश राज्यों के आग्रह के बाद ही दिया गया है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी तरह के कानून को नहीं बनाया गया है। पुराने कानून के तहत ही जानवरों को मारे जाने की आदेश है।

उन्होंने कहा कि नीलगाय द्वारा फसलों को नुकसान के बाद राज्य सरकारों ने पर्यावरण मंत्रालय से जानवरों को मारने की अनुमति मांगी थी। इस नाते मंत्रालय ने इस संबंध में मंजूरी दी।

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