निर्मला सीतारमण ने किया ऐलान , बैंकों को दिए जाएंगे 70 हजार करोड़ , जाने पूरा मामला…

देश कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों कोलेकर एक बड़ा फैसला लिया हैं. बतादें कि देश कि हित के लिए  निर्मला सीतारमण ने अपना ये फैसला सुनाया हैं. देखा जाये तो बजट 2019 के आने के बाद वित्त मंत्री  का ये दूसरा फैसला हैं.

खबरों के मुताबिक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए शुक्रवार को सरकारी बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये दिए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि ये राशि अग्रिम भुगतान के तौर पर उपलब्ध कराई जाएगी. इसकी मदद से बैंकों के लिए नए कर्ज देने में कोई परेशानी नहीं होगी.

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उन्होंने यह बात अर्थव्यवस्था की बिगड़ी हालत पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही. सीतारमण ने कहा, ‘बैंकों ने ब्याज दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को एमसीएलआर के जरिए देने का फैसला किया है. बैंकों ने रेपो रेट से जुड़े हुए कर्ज उत्पाद उतारे हैं, जिससे केंद्रीय बैंक द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में की गई कटौती का लाभ सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगा.’

वित्त मंत्री ने कहा कि सीएसआर (कॉर्पोरेट्स की सामाजिक जिम्मेदारी) का उल्लंघन अब दंडनीय अपराध नहीं होगा, साथ ही एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) पर बढ़ाए गए सरचार्ज को भी वापस ले लिया गया है. इसके अलावा सरकार स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स के प्रावधान को भी वापस लेती है.

जहां उनका कहना हैं कि भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है. सीतारमण ने कहा कि वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

वैश्विक विकास दर भी नीचे जा रही है और अब दुनिया की संशोधित विकास दर 3.2 फीसदी है. भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर अभी भी दूसरों से ज्यादा है.’ उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधार एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है और हमने अपनी गति अभी खोई नहीं है. आर्थिक सुधार 2014 से ही सरकार के शीर्ष एजेंडा में शामिल है.

उन्होंने उद्योग जगत को दिलासा देते हुए कहा कि सरकार वेल्थ क्रियेटर्स (पूंजीपतियों) का सम्मान करती है और हड़बड़ी में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, जिससे उनको नुकसान हो. करदाताओं से निपटने के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने कंपनी अधिनियम के तहत 14,000 अदालती मामलों को वापस लिया है.

उन्होंने कहा कि विजयादशमी के बाद से फेसलैस (कंप्यूटर द्वारा) टैक्स स्क्रूटनी की जाएगी, ताकि करदाताओं के प्रताड़ित नहीं किया जा सके और ऐसी घटनाओं पर लगाम लगे. आयकर विभाग द्वारा भेजे जानेवाले नोटिस और सम्मन 1 अक्टूबर से केंद्रीकृत होंगे. सरकार ऐसे मामलों में अब अधिक मानवीय रूख अपनाएगी.

दरअसल आयकर विभाग के सभी नोटिसों का निपटारा कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) रिफंड प्रक्रिया में आ रही परेशानियों और उससे जुड़ी खामियों की पहचान में जुटी है, ताकि उन्हें जल्द से जल्द दूर किया जा सके.

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