भूलकर भी न हिलाएं नवजात के शरीर का यह अंग, रुक जाता है खून का दौरान

किसी घर में किलकारी की आवाज सबसे मधुर आवाज होती है और मां के लिए उसके बच्‍चे की आवाज किसी अमृत से कम नहीं। मां और शिशु के रिश्‍ते से अनमोल रिश्‍ता दुनिया में कोई और दूसरा नहीं। और मां से ज्‍यादा अपने बच्‍चे की जरूरत कौन समझ सकती है। कौन रख सकता है अपने नन्‍हें का इतना ख्याल। लेकिन फिर भी बच्‍चे की देखभाल के लिए कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी होता है। आइए जानें नवजात की देखभाल करते हुए किन बातों का खयाल रखना चाहिए।

नवजात के शरीर का यह अंगनवजात के शरीर का यह अंग

भूलकर भी न हिलाएं सिर

अपने बच्‍चे को कभी भी शेक न करें। फिर चाहे वो मजाक में ही क्‍यों न हो। बच्‍चे को हिलाने से उसके मस्तिष्‍क में रक्‍त स्राव हो सकता है यह उसकी मौत का कारण भी हो सकता है। अगर आप अपने बच्‍चे को नींद से जगाना भी चाहते हैं, तो उसे शेक करने के स्‍थान पर उसके पैरों में गुदगुदी करें या फिर उसके गाल सहलायें।

बच्चे की मालिश है जरूरी

बच्‍चे की मालिश सावधानीपूर्ण करनी चाहिए। मालिश से बच्चों का शारीरिक विकास होता है और उसकी हड्डियां मजबूत बनती हैं। बच्‍चे की मालिश करते समय जोर न लगायें। बच्‍चे की मालिश हमेशा हल्‍के हाथ से की जानी चाहिए। जोर लगाकर मालिश करने से बच्‍चे को नुकसान हो सकता है। मालिश के लिए जैतून का तेल, बादाम का तेल या बेबी ऑयल का इस्‍तेमाल करना अच्‍छा रहेगा।

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मां अपना ही दूध पिलाए

नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। मां का दूध ही बच्‍चे का पहला आहार होता है। यह बच्‍चे को कई बीमारियों से बचने की शक्ति देता है। हर मां को चाहिए कि वह अपने नवजात को स्‍तनपान करवाये। मां को बच्चे को तब तक दूध पिलाना चाहिए, जब तक वह पूरी तरह से संतुष्ट न हो जाए। छह महीने की आयु तक तो बच्‍चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए।

रोने पर चिढ़ें नहीं

बच्‍चा जब रोता है तो मां अक्‍सर यह समझती है कि उसका बच्‍चा किसी तकलीफ में है। लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। रोना बच्चे के लिए एक अच्छा अभ्यास भी है। हां उसके रोने पर उसे मारना या डांटना नहीं चाहिए, बल्कि प्‍यार से चुप कराना चाहिए। लेकिन, फिर भी अगर आपको ऐसा लगे कि आपका बच्‍चा अधिक रो रहा है, तो उसे डॉक्‍टर तो दिखा लेना चाहिए। वैसे आमतौर पर यही माना जाता है कि बच्‍चे पेट में तकलीफ होने पर रोते हैं।

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समय पर टीकाकरण जरूरी

बच्‍चे को सही समय पर सभी टीके लगवाने चाहिए। अगर अस्‍पताल में प्रसव हुआ है, तो वहीं पर आपको टीकाकरण की सभी जानकारी उसी समय मुहैया करा दी जाती है। इसमें जन्‍म से लेकर कब-कब कौन सा टीका लगना है इसका रिकॉर्ड रखने के लिए कार्ड भी बनाया जाता है। अगर प्रसव अस्‍पताल में नहीं हुआ है, तो भी आपको निकट के स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में जाकर रजिस्‍ट्रेशन करवाना चाहिए।

 

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