‘मोदी-ओबामा के बीच है अविश्वसनीय दोस्ती’

नरेंद्र मोदीनई दिल्ली| राष्ट्रपति बराक ओबामा, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाईट हाउस में दूसरी बार मेजबानी की तैयारी कर रहे हैं, जैसे कई वर्ष बाद वह ऐसा कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रपट में इन दोनों के बीच जुड़ाव को एक ‘अविश्वसनीय दोस्ती’ करार दिया गया है।

नरेंद्र मोदी की दोस्ती

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के बीच सातवीं बैठक से पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, “ओबामा की मोदी के साथ जैसी दोस्ती है, वैसी अविश्वसनीय दोस्ती उनकी दुनिया के अन्य नेताओं के साथ बहुत कम है।”

रपट में कहा गया है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों को ‘सामूहिक कारण ढूंढ़ने के मजबूर करने वाले’ कारण हैं।

उदाहरण के तौर पर अमेरिका भारत के उदय को ओबामा की तथाकथित ‘एशिया नीति की धुरी’ और चीन की वैश्विक आर्थिक एवं सैन्य महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के जवाब के लिए एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में प्रोत्साहित कर रहा है।

अखबार के अनुसार, भारत के लिए अमेरिकी जुड़ाव अमेरिकी कंपनियों के निवेश से अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की जरूरत है।

लेकिन नरेंद्र मोदी और ओबामा के बीच रिश्ता फिर भी ‘अविश्वसनीय’ है।

अखबार का कहना है कि ओबामा ने अल्पसंख्यकों की रक्षा को अपने जीवन का मूल सिद्धांत बनाया है, क्योंकि वह मानते हैं कि लोकतंत्र का मूल सिद्धांत आलोचना और मतभेद है।

लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसके उलट अपने जीवन का अधिकांश समय दक्षिण पंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बढ़ाने में लगाया है, जो भारत में हिंदू बहुलता के लिए जोरदार ढंग से मुहिम चलाता है। इसमें वर्ष 2002 के गुजरात दंगे को याद किया गया है, जब मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। उस दंगे में करीब एक हजार लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश मुसलमान थे।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ह्यूमन राइट्स वाच की रपट का उल्लेख करते हुए कहा है कि भारत में भाजपा सरकार ने बोलने की आजादी का गला घोंटने के लिए देश के व्यापक एवं अस्पष्ट कानूनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है।

अखबार ने ग्रीन पीस जैसे गैर सरकारी संगठनों(एनजीहओ) को बंद करने का मुद्दा भी उठाया है। ग्रीन पीस एक वैश्विक सहायता समूह है, जिसके 40 से भी अधिक देशों में कार्यालय हैं।

ओबामा अपने बच्चों से बेहद प्यार करने वाले पिता एवं जिम्मेदार पति हैं। वह अपने बचपन के दोस्तों से करीबी रिश्ता बनाए रखते हैं। मोदी दशकों पहले पत्नी को छोड़ वैवाहिक जीवन से अलग हो चुके हैं और उनका कोई बच्चा नहीं है।

दोनों नेताओं के बीच कुछ समानताएं भी हैं। दोनों जमीन से उठे हैं। दोनों के अपने पिता से रिश्ते बहुत मुश्किल भरे रहे और जब निर्वाचित हुए तो बदलाव वाली हस्ती माने गए।

मोदी भी ओबामा की तरह सोशल मीडिया का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करते हैं।

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