जानिए क्यों हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है भोलेनाथ के साथ नंदी की पूजा

नंदी की पूजादुनियाभर में स्थित महादेव के सभी मंदिरों में नंदी की प्रतिमा ठीक भोलेनाथ की मूर्ति के सामने विराजमान होती है। ये कोई इत्तेफाक नहीं है। दरअसल इसके पीछे भी कई मान्यताए मौजूद है। कहा जाता है की जिस प्रकार भगवान शिव की पूजा और दर्शन का महत्व है उसी प्रकार नंदी का दर्शन भी किया जाता है। तो क्या आपको भी पता है की आखिर क्यों नंदी को हिन्दू धर्म में भोलेनाथ की चौखट पर विशेष दर्जा प्राप्त है। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते है की मंदिरों में क्यों भगवान शिव के मूर्ति के आगे नंदी की पूजा को इतना महत्व दिया गया है।

कथा के अनुसार :-  शिलाद मुनि पर ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश को आगे बढ़ाने का संकट आ गया था, तो इस संकट से निजात पाने के लिए इंद्र ने शिलाद मुनि को भोलेनाथ की तपस्या करने की सलाह दी।

उसके बाद शिलाद मुनि संतान की कामना के लिए भगवान शंकर की कठोर तपस्या में लग गये।

इस कठोर साधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने वरदान दिया कि वे स्वयं उनके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। कुछ समय पश्चात् शिलाद मुनि के यहां नंदी प्रकट हुए। जिसके बाद भगवान शिव ने नंदी का अभिषेक करवाया और नंदी नंदीश्वर बन गए।

बाद में नंदी का विवाह मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ किया गया। भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया कि जहाँ पर नंदी का निवास होगा वहां उनका भी निवास होगा। तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की मूर्ति की स्थापना की जाने लगी।

साथ ही ये मान्यता भी मानी जाने लगी की अगर आप अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहे तो वे भगवान शिव तक उसे जरुर पहुंचाते है।

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