
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में दलितों के उत्पीड़न का मामला उन दिनों सुर्खियों में है। पुलिस महकमे पर आरोप है कि रात के समय एक गांव में पुलिस ने पीड़ित पक्ष पर ही बर्बरता दिखाई और उनका घर तहस नहस कर दिया। ये मामला सिर्फ यहां तक ही शांत नहीं हुआ, पुलिस ने इस बर्बरता के बाद उलटा पीड़ितों के खिलाफ ही मुकदमा लिख लिया। जिसके बाद पीड़ितों में आक्रोश है और वह इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं इस मामले पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ पुलिस द्वारा पलिया गांव के पीड़ित दलितों को न्याय देने के बजाय उनपर ही अत्याचारियों के दबाव में आकर खुद भी जुल्म-ज्यादती करना व उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाना अति-शर्मनाक। सरकार इस घटना का शीघ्र संज्ञान लेकर दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई व पीड़ितों की आर्थिक भरपाई करे।

वहीं भीम आर्मी ने भी इस मामले में धरना शुरू कर दिया है। भीम आर्मी की मांग है कि रौनापार SHO सहित थाने के सभी दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर उनपर FIR दर्ज की जाए। साथ ही 5 करोड़ की क्षतिपूर्ति दी जाए। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि जातिवादी मानसिकता से कुंठित आजमगढ़ पुलिस की भाषा सुनिए। इन पर कार्यवाही करने की बजाए पुलिस महिला को ही दोषी बता रही है। पहले मुन्ना पासवान का घर तोड़ा और अब औरतों के साथ गाली गलौज। शर्मनाक! क्या महिला आयोग जिंदा है?
आगे उन्होंने कहा, हम अपनी मां बहनों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी मांग है कि रौनापार SHO सहित थाने के सभी दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर उनपर FIR दर्ज की जाए और मुन्ना पासवान को घर तोड़ने के एवज में ₹5 करोड़ की क्षतिपूर्ति दी जाए।

मामला आजमगढ़ के रौनापार थाना अंतर्गत पालिया गांव का है। जहां दो पक्षों में आपसी विवाद था। जिसके चलते बाजार में दोनों पक्षों का झगड़ा हो गया। पुलिस वहां बीच-बचाव करने पहुंची। पुलिस की कार्रवाई के दौरान पलिया के ग्राम प्रधान और भीड़ ने उग्र होकर पुलिस पर हमला कर दिया। उस वक्त तो पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया लेकिन रात पुलिस ने गांव में दबिश दी। आरोप है कि पुलिस ने एक पक्ष की ना तो शिकायत दर्ज की और उल्टा उनके साथ ही बर्बरता की।
आरोप ये भी है कि उनके घरों को पुलिस ने तोड़ दिया। जब वे कार्रवाई की मांग लेकर थाने पहुंचे तो उनकी सुनवाई नहीं हुई। पुलिस कार्रवाई के विरोध में पीड़ित पक्ष की महिलाएं धरना पर बैठी हैं।वहीं इस मामले पर अब डीआईजी ने बताया कि जब तक जांच का नतीजा सामने नहीं आता तब तक किसी भी तरह की कार्रवाई गांववालों पर नहीं की जाएगी। वहीं एसचओ रौनापार को लाइन हाजिर कर दिया गया है।