देश ही नहीं विदेश में भी बन गया मोदी के खिलाफ महागठबंधन, पत्थर से मिलेगा ईंट का जवाब!  

 

मोदीनई दिल्‍ली। भारत ने अग्नि 5 मिसाइल की रेंज में आया चीन खिसियाया हुआ है। ऐसे में भारत के दुश्‍मनों को गले तो लगा ही रहा है साथ ही तकनीकी साजों सामान में भी साझेदारी कर रहा है। अब चीन ने अपने ‘सदाबहार’ दोस्त पाकिस्तान के साथ मिलकर बलिस्टिक,  क्रूज,  एंटी-एयरक्राफ्ट और एंटी-शिप मिसाइल बनाने की योजना बना रहा है। यह जानकारी चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दी है।

चीन और पाकिस्तान दोनों साथ मिलकर बड़ी संख्या में FC-1 शियोलॉन्ग कॉम्बेट एयरक्राफ्ट का उत्पादन करेंगे। FC-1 शियोलॉन्ग कॉम्बेट एयरक्राफ्ट हल्के वजन के होते हैं और इन्हें कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही  दोनों देश आतंकवाद निरोधी कार्यक्रमों में सहयोग बढ़ाने के लिए भी सहमत हो गए हैं।

दोनों देशों में आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी पूर्ण सहमित से समझौता हुआ है। जिन आतंकवादियों के लिए कार्रवाई की बात हुई है, उनमें चीन के अंदर सक्रिय पूर्वी तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट भी शामिल हैं।गुरुवार को पेइचिंग में पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर बाजवा और चीन की सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी फांग फेंगजुई की मुलाकात हुई।

बैठक के दौरान ही दोनों देशों के बीच इस बाबत समझौता हुआ। चीन के सहयोग के बदले इस्लामाबाद ने चीन को चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया है। चीन के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर इस बयान का खुलासा किया गया है। इस बैठक के दौरान बाजवा ने कहा, चीन और पाकिस्तान की एक-दूसरे के साथ खासी दोस्ती है और उनके हित भी एकसमान हैं।

CPEC की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने 15,000 जवानों को तैनात किया है। साथ ही,  पाकिस्तानी नौसेना ने भी ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा बढ़ा दी है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक,  मंगलवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चीन में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खालिद ने इस बात की जानकारी दी। CPEC चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरने वाला यह आर्थिक गलियारा चीन के शिनजांग प्रांत को बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। चीन की सेना में काम कर चुके एक सैन्य विशेषज्ञ ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘पाकिस्तान को तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों से हमेशा खतरा बना रहता है।

ऐसे में सैन्य सहयोग जरूरी है। चीन और पाकिस्तान के बीच का सैन्य सहयोग उस इलाके की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा,  जहां चीन ने इतना बड़ा निवेश किया है।’ जानकारी के मुताबिक, पाक सेनाध्यक्ष बाजवा ने इस बैठक के दौरान कहा कि पाकिस्तानी सेना चीन की सेना के साथ अपना सहयोग और बढ़ाना चाहती है,  ताकि आतंकवादियों का अधिक दृढ़ता के साथ मुकाबला किया जा सके।

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