देश की सबसे बड़ी कंपनी को बेचने के विचार में हैं मोदी सरकार , जाने पूरा मामला…

देश में मंदी का दौर जारी हैं. वहीं भारत सरकार के लिए ये मुश्किल की घड़ी चल रही हैं. बतादें की देश की सबसे बड़ी कंपनी भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को सरकार अब निची हाथों में देने का प्रस्ताव जारी कर  रही हैं. जिससे भारत सरकार को संसद से पूरी अनुमति लेनी पड़ेगी.

खबरों के मुताबिक सरकार पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) को निजी हाथों में देने के प्रस्ताव पर अगर आगे बढ़ना चाहती है तो उसे संसद की अनुमति लेनी होगी.

अधिकारियों ने कहा कि सरकार बीपीसीएल को निजी क्षेत्र की देशी-विदेशी कंपनियों को बेचने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. लेकिन इसके निजीकरण के लिए संसद की अनुमति लेने की जरूरत होगी.

अभी इस बाजार में सरकारी कंपनियों का दबदबा रहा है. बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 27 सितंबर को बाजार बंद होने के समय 1.02 लाख करोड़ रुपये था. इस लिहाज से कंपनी में सिर्फ 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर सरकार को 26,500 रुपये के अलावा नियंत्रण एवं बाजार प्रवेश प्रीमियम के रूप में 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक मिलेंगे.

बीपीसीएल के निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत होगी. उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) का निजीकरण सरकार द्वारा कानून में संशोधन के बाद ही किया जा सकता है. संसद ने ही पूर्व में दोनों कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून पारित किया था.

दरअसल उस समय रिलायंस इंडस्ट्रीज, ब्रिटेन की बीपी पीएलसी, कुवैत पेट्रोलियम, मलेशिया की पेट्रोनास, शेल-सऊदी अरामको गठजोड़ तथा एस्सार आयल में एचपीसीएल की हिस्सेदारी लेने की इच्छा जताई थी.

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