जानें दूध की एलर्जी के बचाव व उपचार 

कई लोगों मे अलग- अलग खानपान से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में लोग उन चीजों के सेवन से बचते हैं, ठीक इसी प्रकार बहुत से लोगों को दूध और दूध उत्पादों से एलर्जी होती है। यह एलर्जी बच्‍चों में आम रूप से होती है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि आखिर दूध से कई लोगों को एलर्जी क्‍यूं होती है? अगर नहीं, तो हम आपको बताते हैं। दूध में मौजूद कुछ प्रोटीन के कारण कई लोगों को शरीर में एलर्जी हो सकती है। गाय का दूध, दूध से होने वाली एलर्जी का मुक्ष्‍य कारण होता है। इसके अलावा भैंस, बकरी व अन्‍स स्‍तनधारियों के दूध से भी एलर्जी हो सकती है। गाय के दूध में अल्‍फा एस1 कैसिइन प्रोटीन सबसे अधिक होता है, जो मुख्‍यत: दूध की उलर्जी का कारण होता है।

जानें दूध की एलर्जी के बचाव व उपचार 

बच्‍चों में दूध की एलर्जी के लक्षण

जिन बचचों या लोगों को दुध से एलर्जी होती है, उन्‍हें वह जल्‍दी महसूस नहीं होता है। आमतौर पर दूध की एलर्जी वाले लोगों में इसके लक्षण कई घंटे या फिर कई दिनों बाद देखने को मिलते हैं। दूध की एलर्जी ज्‍यादातर नवजात शिशुओं और बच्‍चों में होती है, जिसके कई लक्षण हो सकते हैं।

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  • मुत्र का रंग गहरा पड़ने लगता है, जिसमें कई बार रक्त या बलगम हो सकता है।
  • दूध की एलर्जी के चलते पेट में ऐंठन होना भी एक आम लक्षण है।
  • कइर् लोगों में दूध से होने वाली एलर्जी के कारण त्वचा पर चकत्ते भी होते हैं।
  • दस्त व खाँसी होना भी इसके आम लक्षण हैं।
  • इसके अलावा गीली आंखें, बहती नाक भी इसके संकेत हो सकते हैं।
  • दूध की एलर्जी के कुछ लक्षण जल्‍दी ही दिखाई देते हैं जैसे- जी मिचलाना, उल्‍टी, घबराहट, होंठों के पास खुजली और सूजे हुए होंठ व गला भी इसके आम लक्षण होते हैं।
  • कुछ बच्‍चों में दूध की एलर्जी के कारण अनैफिलैक्टिक शॉक भी होता है, जिसमें बच्‍चे के होंठ, गले व मुंह में सूजन हो सकती है। अनैफिलैक्टिक के कारण खून में कमी, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसका तुरन्‍त इजाल करवाना चाहिए, अन्‍यथा यह घातक भी हो सकता है।

दूध की एलर्जी के कारण

दूध व दूध वाले उत्‍पादों में पाये जाने वाले कुछ प्रोटीन के कारण दुध की एलर्जी हा सकती है। दूध से एलर्जी वाले लोगों में, शरीर कुछ दूध वाले प्रोटीन को हानिकारक रूप में पहचानता है और प्रोटीन को बेअसर करने के लिए इम्‍युनोग्‍लोबुलिन ई नामक एंटीबॉडी का उत्‍पादन जोखिम का कारण बनता है। फिर, हर बार जब आप प्रोटीन के संपर्क में आते हैं, तो एंटीबॉडी उन्हें पहचानती हैं और हिस्टामाइन और अन्य रसायनों को छोड़ने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को संकेत देती हैं। जिसके परिणाम स्‍वरूप एलर्जी होती है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में दूध की एलर्जी अधिक आम है क्योंकि बच्चों का पाचन तंत्र कमजोर होता है।

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यह लैक्‍टेज एंजाइम की कमी से होता है। दूध का लैक्‍टोज जब छोटी आंत में पहुंचता है, तो वहां से लैक्‍टेज एंजाइम से ग्‍लूकोज और गैलेक्‍टोज टूट जाता है। जिससे दूध आसानी से पच नहीं पाता। लैक्‍टोज दूध व दूध से बने उत्‍पादों में पाया जाने वाला प्राकृतिक शुगर है। जब किसी को दूध हजम नहीं हो पाता है तो उसे लैक्‍टोज इंटॉलरेंस की समस्‍या होती है। इससे एलर्जी की समस्‍या के साथ-साथ पाचन संबंधी समस्‍याएं भी होती हैं।

दूध की एलर्जी के बचाव व उपचार

  • दूध से एलर्जी के लिए आपके बच्‍चे को जिस दूध से एलर्जी है उस दूध का सेवन करवाना बंद कर देना चाहिए।
  • दूध की एलर्जी के लिए आपको सर्वप्रथम चिकित्‍सक से सुझाव लेना चाहिए।
  • यदि आप बच्‍चे को दूध पिला रहे हैं तो ऐसा दूध पिलाएं जिसमें लेक्‍टोस न हो। कोशिश करें इस स्थिति मेंबच्चे को सोया का दूध पिलाएं।

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