
वैसे तो मोबाइल फोन को कलियुग के पहले चरण में इक्कीसवीं सदी की महानतम खोज की संज्ञा दी जाती है लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि सबसे पहले रामायण काल के दौरान लंका में दूरसंचार के यंत्रों का निर्माण हुआ था. उस युग में इन यंत्रों को मधुमक्खी कहा जाता था. इस यंत्र को दुनिया का पहला मोबाइल भी कहा जा सकता है.
दुनिया का पहला मोबाइल
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस यंत्र पर बात करने से पहले बाकायदा एक ख़ास ध्वनि वाली रिंगटोन तक बजती थी. इस ख़ास ध्वनि के कारण ही इस यंत्र को मधुमक्खी कहा जाता था. इस यंत्र के इस्तेमाल की इजाजत केवल राज परिवार के लोगों को थी.
इस अनूठे यंत्र के जरिये राज परिवार के लोग कभी भी और कहीं भी बैठे किसी दूसरे व्यक्ति से बात करते थे.
कैसे चला इसका पता?
शोधकर्ताओं ने पाया कि जब लंकापति रावण ने अपने छोटे भाई विभीषण को देश निकाला दिया था तब वह मधुमक्खी और दर्पण यंत्रों के अलावा अपने 4 विश्वसनीय मंत्री अनल, पनस, संपाती और प्रभाती को अपने साथ लेकर प्रभु राम की शरण में आया था.
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उस समय लंका के पास लगभग 10,000 सैनिक थे. लंका की सेना के पास भी एक ऐसा यंत्र था जो दूर तक संदेश भेजने और लाने का काम करता था. इस यंत्र का नाम त्रिशूल था.
इसके अलावा उस काल में दूरदर्शन जैसा भी एक यंत्र था जिसका नाम त्रिकाल दृष्टा था। शोध करने वालों की मानें तो उस समय लंका में आज के जमाने से भी ज्यादा उन्नत और कारगर यंत्र थे.
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इसके अलावा, पूरे नगर में जगह-जगह यांत्रिक सेतु, यांत्रिक कपाट और ऐसे चबूतरे भी मौजूद थे जो बटन दबाते ही ऊपर-नीचे होते थे। इन्हें आज लिफ्ट के नाम से जाना जाता है.
शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष अनके पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद निकाला है जिनमें वाल्मीकि रामायण प्रमुख है.