दुनिया का एकलौता मंदिर जहाँ होती है खंडित शिवलिंग की पूजा !

मध्यप्रदेश : सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किमी. दूर स्थित ऐतिहासिक गैवीनाथ मंदिर है | यह मंदिर सैकड़ों सालों से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है |

ऐसी मान्यता है कि यहां मन्दिर में लोगों की मन मांगी मुरादें पूरी होती हैं | यह मंदिर एकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ पूरे विश्व मे केवल इसी मंदिर में खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। इस मंदिर का वर्णन पदम पुराण के पाताल खंड में भी मिलता है |

पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में यहां राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था और तब बिरसिंहपुर नगर का नाम देवपुर था | राजा वीर सिंह भगवान महाकाल को जल चढ़ाने घोड़े पर सवार होकर उज्जैन दर्शन करने जाते थे|

वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा | इस तरह राजा वृद्ध हो गए और उज्जैन जाने में उन्हें परेशानी होने लगी | महाकाल ने देवपुर में दर्शन देने की बात कही | एक बार उन्होंने भगवान महाकाल के सामने मन की बात रखी |

बताया जाता है, एक दिन भगवान महाकाल ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिया और देवपुर में दर्शन देने की बात कही | इसके बाद नगर के गैवी यादव नामक व्यक्ति घर में एक घटना सामने आई | घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग रूप निकलता, जिसे यादव की मां मूसल से ठोक कर अंदर कर देती। राजा ने गैवी यादव को बुलाया |

 

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कई दिनों तक यही क्रम चलता रहा। एक दिन महाकाल फिर से राजा को स्वप्न में आए और कहा कि मैं तुम्हारी पूजा व निष्ठा से प्रसन्न होकर तुम्हारे नगर में निकलना चाहता हूं, लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता |

इसके बाद राजा ने गैवी यादव को बुलाया और स्वप्न की बात बताई | जिसके बाद जगह को खाली कराया गया, जहां शिवलिंग निकला | फिर राजा ने यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण कराया, महाकाल के ही कहने पर शिवलिंग का नाम गैवीनाथ रख दिया |

तब से भोलेनाथ को गैवीनाथ के नाम से जाना जाता है | बोला जाता है, जो व्यक्ति महाकाल के दर्शन करने नहीं जा सकता, वे बिरसिंहपुर के गैवीनाथ भगवान का दर्शन कर लें, पुण्य उतना ही मिलेगा |

 

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