दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई उपराज्यपाल के आदेश पर रोक, ‘आप’ को मिली बड़ी राहत

दिल्ली हाई कोर्टनई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को आबंटित बंगला रद्द करने वाले उपराज्यपाल के आदेश को ठुकरा दिया है। जस्टिस विभू बखरु ने इस मामले को सुनने के बाद आठ हफ्ते में तर्कसंगत फैसला लेने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास वापस भेज दिया है।

मामले की शुरुआत वकील आदित्य विजय कुमार की ओर से दायर याचिका से हुई। इसमें कहा गया कि आम आदमी पार्टी को इस साल 12 अप्रैल को एक संदेश मिला जिसमें कहा गया कि उपराज्यपाल ने बंगले का आवंटन रद्द कर दिया है।

बता दें कि उपराज्यपाल ने आबंटन रद्द करने के पीछे कानून और नियमों के उल्लंघन का हवाला दिया है। LG के आदेश के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से वरिष्ठ वकील अरुण कथपालिया का कहना है कि पार्टी को 31 दिसंबर 2015 को राउज एवेन्यू में बंगला संख्या 206 आवंटित किया गया था।

अर्जी में यह भी दावा किया गया था कि उसे बेवजह ऐसी कार्रवाई का निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अन्य पार्टियों को राष्ट्रीय राजधानी के बीचो-बीच बंगले आवंटित हैं।

अदालत ने कहा कि 12 अप्रैल का आवंटन रद्द करने वाले आदेश में स्पष्टता की कमी है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि किस कानून या नियम का उल्लंघन किया गया है।

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गौरतलब हो कि बहस के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और केंद्र सरकार के वकील ने कहा था कि आम आदमी पार्टी को इससे पहले दक्षिण दिल्ली के साकेत में आवास की पेशकश की गई थी, लेकिन पार्टी ने इसे लेने से इनकार कर दिया था।

वहीं उच्च न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार की नीति राजनीतिक पार्टियों को परिसर आवंटित करने की है, तो उसे समान रुप से लागू करना चाहिए।

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अदालत ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा 13 जून को पारित 2 अहम आदेशों को भी स्थगित रखा है।

इसमें पार्टी के वैकल्पिक आवास के अनुरोध को खारिज करते हुए बाजार दर के हिसाब से 31 मई तक संपत्ति के 27 लाख रूपये से ज्यादा के किराये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था, जिसे अभी उच्च न्यायालय की तरफ से स्थगित रखा गया है।

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