दहशत : रातभर पेड़ पर मौत के इंतजार के बाद युवक ने सुनाई खुद के जिंदा बचे रहने तक की कहानी

पीलीभीत जिले के दियोरिया रेंज में रविवार की शाम को बाघ के हमले की घटना में एकमात्र जीवित बचे विकास उर्फ दिक्षु ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली है। हालांकि उसके चेहरे पर अभी भी साथियों की मौत और बाघ का खौफ देखा जा सकता है। सुबह पेड़ से उतरने के बाद भी वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था। तकरीबन 2 बजे के बाद उसने अपनी आपबीती बताई।

विकास ने बताया कि सुबह 11 बजे गांव के कंधई ने उससे कहीं बाहर चलने के लिए कहा। वह और कंधई गांव के ही सोनू की बाइक पर सवार होकर निकल पड़े। पहले वह अपनी रिश्तेदारी में गए। उसके बाद वहां से शाहजहांपुर के पुवांया स्थित गांव जलालपुर में गए। यहां कंधई की ससुराल है। कुछ देर के बाद ही वहां शाम हो गयी और सब अपने गांव दियोरिया के लिए चल दिए। घुंघचाई-दियोरिया मार्ग पर जंगल के पास पहुंचते ही वन चौकी पर एक वनकर्मी ने बाईक को रोकर आगे बाघ होने की बात उन्हें बताई। लेकिन वह सब गांव पहुंचने की जल्दी में आगे बढ़ गए।

बाइक महज 15 मिनट ही चली होगी की आगे सड़क किनारे 2 बाघ बैठे हुए दिखाई दिए। बाघ को देखते ही सभी के होश उड़ गए और बाइक को रोक दिया गया। इसके तुरंत बाद ही बाघ ने छलांग लगा दी औऱ तीनों लोग गिर गए। बाइक को सोनू चला रहा था। और विकास पीछे बैठा हुआ था। तीनों ने वहां बाघ देखते ही भागना शुरु कर दिया। इसी दौरान दूसरे बाघ ने उसके सिर पर पंजे से वार किया। लेकिन हेलमेट लगा होने के कारण वह बच गया और भागता रहा। इसके बाद कुछ दूरी पर स्थित पेड़ पर चढ़ गया।

इस दौरान सोनू और कंधई दोनों ही दौड़ लगा रहे थे। इतने में बाघ ने सोनू पर हमला कर उसे मार दिया। यह सब विकास अपनी आंखो से देख रहा था। मौका पाकर कंधई जब पेड़ पर चढ़ने लगा तो बाघ ने उसे भी लपककर दबोच लिया। दहशत के चलते उसने आंखे बंद कर ली। विकास ने बताया कि वह जब भी देखता तो बाघ को अपने पास मंडराता पाता। यह सिलसिला पूरी रात चलता रहा।

सुबह जब बाघों को उसके होने का अहसास खत्म हो गया तो वहां से गुजर रहे कुछ लोगों को देख विकास ने उन्हें आवाज दी। लोगों ने किसी तरह विकास को ऊपर से नीचे उतारा। इस दौरान वह बुरी तरह से कांप रहा था।

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