आज से शुरू होगा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, प्रक्रिया हुई तेज  

कांग्रेस नेताओं के विरोध के बाद गांव में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए आरक्षण सूची का अनंतिम प्रकाशन मंगलवार को होगा। उत्तराखंड के सभी जिलों की बात करे तो केवल हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में 66 हजार से ज्यादा पदों के लिए आरक्षण पर बात होगी। एक सप्ताह में कार्रवाई की भी बात होगी।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव

तीन बार इससे पहले आपदा की वजह से अनंतिम प्रकाशन टल चुका है। हालांकि पंचायत आरक्षण टलने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है।

पार्टी का कहना है कि भाजपा के लोगों के लिए जीत का आधार तैयार करने के उद्देश्य से बार-बार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बीच सरकार 31 नवंबर 19 को डेडलाइन मानकर तेजी से चुनाव के लिए आगे बढ़ रही है।

ताजा कार्यक्रम के अनुसार, सरकार आरक्षण प्रक्रिया पूरी करके एक सितंबर को राज्य निर्वाचन आयोग को इस संबंध में सूचित करेगी। इसके बाद, आयोग के स्तर पर सरकार को चुनाव का प्रस्तावित कार्यक्रम भेजा जाएगा। इस पर मुहर लगते ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

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बिखरा-बिखरा है कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस पंचायत आरक्षण में देरी पर सवाल उठाते हुए आंदोलन की राह पर निकली जरूर है, लेकिन फिलहाल उसकी ताकत बिखरी हुई दिख रही है। कांग्रेस ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का बड़ा कार्यक्रम रखा है, जिसकी अगुवाई खुद प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह करने जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के ही कई प्रमुख नेता पंचायत जनाधिकार मंच के बैनर तले विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम अलग से चला रहे हैं। इन प्रमुख नेताओं को हरीश रावत गुट के करीब माना जाता है।

सुनवाई पर नजर, पर उठा लिया कदम
पंचायत राज संशोधन एक्ट में दो बच्चों की शर्त और शैक्षिक योग्यता के संबंध में हाईकोर्ट में रिट दायर है। इस पर हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग ने फिर भी नाम निर्देशिका में नई व्यवस्थाओं को शामिल करते हुए इनके प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू करा दी है। दरअसल, नाम निर्देशिका पुस्तिका जल्द से जल्द जिला निर्वाचन कार्यालयों को भेजी जानी है।

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इस पुस्तिका में उल्लेखित नियम कायदों को ध्यान में रखते हुए ही चुनाव कराए जाते हैं। एक्ट में संशोधन के बाद जो भी बदलाव हुए हैं, उन्हें आयोग पुस्तिका में शामिल करते हुए जल्द से जल्द जिलों में भेजने की तैयारी है। हालांकि यह बात भी अपनी जगह पर मौजूद है कि एक्ट में संशोधन के खिलाफ दायर रिट पर हाईकोर्ट का कुछ अलग सा फैसला आ जाता है, तो फिर सारी कवायद नए सिरे से करनी होगी।

 

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