तेज आंच में खाना पकाने से पढ़ सकता है कैंसर और हृदय रोगों का खतरा

अगर आप तेज आंच में खाना पकाते हैं, तो सावधान हो जाएं। हाल में हुए एक शोध के अनुसार तेज आंच में पका खाना खाने से कैंसर और हृदय रोगों (हार्ट डिजीज) का खतरा बढ़ जाता है।

तेज आंच में खाना पकाने से पढ़ सकता है कैंसर और हृदय रोगों का खतरा

भोजन हमारे शरीर के लिए जरूरी है मगर यदि भोजन ही हमें बीमार बनाने लगे, तो आप क्या करेंगे? कैंसर और दिल की बीमारी हर साल करोड़ों लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप खाना हल्की आंच में अच्छी तरह पकाकर खाएं। आइए आपको बताते हैं कि तेज आंच में पके भोजन और इन बीमारियों का क्या रिश्ता है।

क्या कहती है रिसर्च?

ये रिसर्च एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी द्वारा की गई है। रिसर्च में यह पता चला है कि तेज आंच में पके भोजन में कई ऐसे तत्व आ जाते हैं, जो शरीर के अंदर जाकर आपकी टिशूज (ऊतकों) को प्रभावित करते हैं और डीएनए में गड़बड़ी पैदा कर देते हैं। इसी कारण से कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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क्यों नहीं पकाना चाहिए तेज आंच में खाना?

भोजन को 150 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर पकाने से भोजन में मौजूद कई पदार्थों की रासायनिक संरचना बदल जाती है और वो विषैले हो जाते हैं। तेल में तले और बने भोजन में इन बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। बहुत तेज आंच पर जब आप तेल को गर्म करते हैं, तो ये तेल ट्रांस फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह का भोजन खाने से कैंसर और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

पूड़ी, पराठे और भटूरे और फ्राईज से रहें दूर

तेल में डीप फ्राई (तली) हुई चीजें खाने पर इन रोगों का खतरा ज्यादा होता है इसलिए पूड़ियां, पराठे, भटूरे, फ्रेंच फ्राईज आदि का सेवन बहुत कम करें या घर पर इन्हें धीमी आंच में पकाएं। बाजार में मिलने वाले इन आहारों को बहुत तेज आंच में खौलते हुए तेल में पकाया जाता है। इसके अलावा बाजार में मिलने वाले फूड्स में तेल की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं होती है।

बचे हुए तेल का दोबारा इस्तेमाल है खतरनाक

तेल फैट का रूप होता है। अगर आप एक बार इस्तेमाल हुए तेल का दोबारा या उससे भी ज्यादा बार इस्तेमाल करते हैं, तो तेल के केमिकल कंपाउंड में बदलाव आ जाता है। ये बदलाव तेल को विषाक्त बनाता है। ऐसे में आप जितनी बार तेल को गर्म करते हैं, उसकी विषाक्तता बढ़ती जाती है।

इसे ऐसे समझिए कि गर्म आंच के दबाव में तेल के मॉलीक्यूल्स में बार-बार परिवर्तन होता रहता है, जिससे ये एक नया कंपाउंड बन जाता है, जो प्राकृतिक तेल से बिल्कुल अलग होता है और शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक खाने में तेल का इस्तेमाल बहुत कम करना चाहिए और अगर करें भी तो कम से कम एक बार जले हुए तेल का दोबारा इस्तेमाल न करें।

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जरूर बरतें ये 4 सावधानियां

  • तेल का वास्‍तविक रंग बदलने पर उसे इस्‍तेमाल न करें।
  • एक बार में कई तेल या घी एक साथ इस्‍तेमाल करने से बचें।
  • ऑलिव ऑयल लो स्‍मोक ऑयल है इसलिए इसे डीप फ्राई के लिए इस्तेमाल न करें।
  • एक समय में एक ही तेल का उपयोग करें।

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