सिर्फ एक भाषण ने सबसे कम उम्र संसद पहुंचे तेजस्वी सूर्या को दक्षिण की जनता ने बनाया हीरो

बंगलूरू दक्षिण की लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी 28 साल के तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को मात देकर बड़ी जीत दर्ज की। वह पहली बार संसद में भवन पहुंचेंगे। तेजस्वी इस बार के चुनाव में भाजपा के सबसे युवा सांसद हैं जो जीतकर आए हैं। वह अपने कॉलेज के दिनों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रहे हैं।

तेजस्वी सूर्या

28 साल के तेजस्वी सूर्या पेशे से वकील और भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव हैं। इसके अलावा भाजपा के  2019 के लिए गठित राष्ट्रीय सोशल मीडिया अभियान में भी वह अहम सदस्य हैं। भाजपा का हिस्सा बनने से पहले छात्र संगठन, एबीवीपी में सक्रिय रह चुके हैं। नेटवर्किंग में माहिर माने जाने वाले तेजस्वी लोगों के बीच एक प्रखर वक्ता के तौर पर अपनी पहचान रखते हैं। कहा गया कि तेजस्वी के जोरदार भाषण ने ही उन्हें भाजपा का हीरो बनाया है।

बता दें कि बेंगलुरु दक्षिण सीट से भाजपा के अनंत कुमार सांसद थे। उनके देहांत के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि अब यहां से उनकी पत्नी तेजस्विनी भाजपा की उम्मीदवार होंगी। लेकिन पार्टी के चयन ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया।

तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस के कद्दावर नेता बीके हरिप्रसाद को मात दी है।  हरिप्रसाद, राज्यसभा सांसद हैं। राजनीति में लंबा तजुर्बा रखते हैं। बीते कुछ समय से कर्नाटक की राजनीति से भले दूर रहे हों लेकिन कांग्रेस संगठन में उनके पास लंबा अनुभव है। इसके बरक्स तेजस्वी सूर्या युवा हैं। अनुभव भले न हो लेकिन उसकी भरपाई अपने जोश से करने को बेताब हैं। इस बेताबी की एक झलक उन ट्वीट्स में दिखती है जो उन्होंने भाजपा की लिस्ट में नाम आने के ऐन बाद किए थे।

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उनका एक ट्वीट जो उन्होंने टिकट मिलने के बाद किया था। उन्होंने लिखा था, “ओह माय गॉड। विश्वास ही नहीं होता! दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पीएम और सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष ने 28 साल के एक व्यक्ति को बंगलूरू दक्षिण जैसी प्रतिष्ठित सीट के लिए चुना है। ये सिर्फ भाजपा में हो सकता है।” उनका यह ट्वीट काफी सुर्खियों में रहा था।

साल था 1991। भाजपा के वेंकटगिरी गौड़ा ने बंगलूरू दक्षिण पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद आया साल 1996 का चुनाव। 37 साल के अनंत कुमार ने वेंकटगिरी से मिली कमान कायदे से संभाली और फिर अगले पांच चुनावों तक किसी को फटकने नहीं दिया।

अनंत कुमार कुल छह बार बंगलूरू सीट से जीत कर लोकसभा पहुंचे। 1999 में एक छोटी कोशिश बीके हरिप्रसाद ने जरूर की लेकिन नाकाम कोशिश। अनंत कुमार ने उन्हें करीब 65 हजार वोटों से हरा दिया था।

तेजस्विनी से तेजस्वी तक की कहानी

12 नवंबर 2018 को अनंत कुमार का निधन हो गया। जिसके बाद ये सीट खाली हो गई। इस बार जब टिकट बंटने की बारी आई तो उम्मीद अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी को भी थी। उन्हें लगा कि टिकट उन्हीं को मिलेगा। शायद यही वजह थी कि जब तेजस्वी के नाम का एलान हुआ तो तेजस्विनी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ये चौंकाने वाली खबर रही। हालांकि उन्होंने ये भी जोड़ा कि वो पार्टी पर कोई सवाल उठाना नहीं चाहतीं।

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दक्षिण बंगलूरू के एक छोटे से घर में तेजस्वी सूर्या ने अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा बिताया है। एक बेडरूम को उन्होंने स्टूडियो में तब्दील किया है जिसमें तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। यहां से वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए फोटो और वीडियो को शूट करते हैं। इस कमरे के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था, यह अकेला ऐसा कमरा है जिसका मैं वर्तमान में प्रयोग करता हूं, वरना मैं पूरे घर का इस्तेमाल अपने अस्थायी चुनाव अभियान कार्यालय के तौर पर करता हूं।

सांसद का चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने पहला चुनाव असिस्टेंट हेड ब्वॉय के तौर पर स्कूल में सातवीं कक्षा के दौरान लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई थी क्योंकि वही अकेले उम्मीदवार थे जिसने अभियान को गंभीरता से लिया था।

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